पार्वती की युक्ति

पार्वती की युक्ति

एक बार शिवजी और मां पार्वती भ्रमण पर निकले।

उस काल में पृथ्वी पर घोर सूखा पड़ा था।

चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था।

पीने को पानी तक जुटाने में लोगों को कड़ी मेहनत करना पड़ रही थी।

ऐसे में शिव-पार्वती भ्रमण कर रहे थे।

मां पार्वती से लोगों की दयनीय स्थिति देखी नहीं गई।

वे उदास हो गई परंतु शिवजी से कुछ बोल नहीं सकी।

तभी शिव-पार्वती को एक किसान दिखाई दिया जो कड़ी धूप में सूखे खेत को जोत रहा था।

पार्वती को यह देखकर अत्यंत आश्चर्य हुआ

और उन्होंने शिवजी से पूछा- स्वामी इस सूखे के समय जहां पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है,

वहीं ये बेचारा किसान इस धूप में व्यर्थ ही कड़ी मेहनत कर रहा है।

तब शिवजी ने कहा कल्याणी वह खेत में हल इसलिए चला रहा है

ताकि खेत जोतने की उसकी आदत ना छूट जाए।

यह बात सुनकर पार्वती को ध्यान आया शिव जी के शंख बजाने से वर्षा होती है।

यह सोच वे शिवजी से बोली स्वामी आपने भी बहुत दिनों से अपना शंख नहीं बजाया, कहीं आप शंख बजाना ना भूल जाए।

यह सुनकर शिवजी ने शंख बजा दिया और पृथ्वी पर घनघोर बारिश हो गई जिससे भयंकर सूखा समाप्त हो गया।

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