बजरंग बाण
बजरंग बाण
चालीसा
बजरंग बाण भगवान हनुमान को समर्पित सबसे लोकप्रिय भक्ति गीत है।
भगवान हनुमान से सम्बन्धित त्यौहारों और अधिकांश अवसरों पर इस प्रसिद्ध गीत का पाठ किया जाता है।
इसकी रचना हनुमान चालीसा के समान है। बजरंग बाण का शाब्दिक अर्थ बजरंग बली या भगवान हनुमान का तीर है।
बजरंग बाण चालीसा
॥ दोहा ॥
॥ चौपाई ॥
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा।सुरसा बदन पैठिबिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका।मारेहु लात गई सुर लोका ॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखिपरम पद लीन्हा॥
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुरमहं भई॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहुं उर अन्तर्यामी ॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुःख करहुं निपाता॥
जय गिरिधर जय जय सुख सागर।सुर समूहसमरथ भटनागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारूबज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।महाराज प्रभु दास उबारो॥
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।बज्र गदा हनुविलम्ब न लावो ॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनुअरि उर शीशा ॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके।रामदूत धरु मारुधाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं । तुमरे बल हमडरपत नाहीं॥
पाय परौं कर जोरि मनावों । यह अवसर अब केहि गोहरावों ॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता।शंकर सुवन धीरहनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक।राम सहाय सदाप्रतिपालक ॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर।अग्नि बैताल कालमारीमर ॥
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजादनाम की॥
जनकसुता हरि दास कहावो ।ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा।सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥
चरण शरण करि जोरि मनावों । यहि अवसर अबकेहि गोहरावों ॥
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता । ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल । ॐ सं सं सहमपराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥
धूप देय अरु जपै हमेशा।ताके तन नहिं रहेकलेशा॥
॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ।