होलिका
लोगों के मन में एक प्रश्न रहता है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन किसलिए करते हैं?
होलिका पूजन के पीछे एक बात है।
जिस दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने वाली थी,
उस दिन नगर के सभी लोगों ने घर-घर में अग्नि प्रज्वलित कर प्रहलाद की रक्षा करने के लिए अग्निदेव से प्रार्थना की थी।
लोक हृदय को प्रहलाद ने कैसे जीत लिया था, यह बात इस घटना में प्रतिबिम्बित होती है।
अग्निदेव ने लोगों के अंतःकरण की प्रार्थना को स्वीकार किया और लोगों की इच्छा के अनुसार ही हुआ।
होलिका नष्ट हो गई और अग्नि की कसौटी में से पार उतरा हुआ प्रहलाद नरश्रेष्ठ बन गया।
प्रहलाद को बचाने की प्रार्थना के रूप में प्रारंभ हुई घर-घर की अग्नि पूजा ने काल क्रमानुसार सामुदायिक पूजा का रूप लिया
और उससे ही गली-गली में होलिका की पूजा प्रारंभ हुई।