पौराणिक चरित्र पृथु

पौराणिक चरित्र पृथु पृथु एक सूर्यवंशी राजा थे, जो वेन के पुत्र थे। वाल्मीकि रामायण में इन्हें अनरण्य का पुत्र तथा त्रिशंकु का पिता कहा गया है। ये भगवान विष्णु के अंशावतार थे। स्वयंभुव मनु के वंशज अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसी पुत्री सुनीथा से हुआ था। वेन उनका पुत्र हुआ। सिंहासन … Read more

धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर का जन्म

धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये … Read more

कृष्ण और रुक्मिणी

कृष्ण और रुक्मिणी रुक्मिणी कौन थी ? विदर्भ देश के राजा भीष्मक के पांच पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम रुक्मिणी था जो समकालीन राजकुमारियों में सर्वाधिक सुंदर और सुशील थी| उससे विवाह करने के लिए अनेक राजा और राजकुमार आए दिन विदर्भ देश की राजधानी की यात्रा करते रहते थे। उन दिनों … Read more

नारायणनामा

नारायणनामा नारद मुनि नारायण, नारायण का जाप करते हुए पहुँच गये अपने प्रभु के लोक, यानि कि वैकुण्ठ लोक। वहाँ शेष शैया पर भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे, और विष्णुप्रिया भगवती लक्ष्मी चरण कमल चापन में मग्न थीं। नारद मुनि थोडा ठहरे, फिर सोचा कि प्रभु के विश्राम मे विघ्नडारक न बन जाऊँ, इसलिये … Read more

सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ ?

सृष्टि का निर्माण उत्तराखंड में प्रचलित पौराणिक गाथा के अनुसार पृथ्वी में सर्वप्रथम निरंकार विद्यमान था। उनके द्वारा सोनी और जंबू गरुड़ की उत्पत्ति के पश्चात ही सृष्टि की रचना मानी गयी है। आइए जाने उत्तराखंड के लोगों के बीच, सृष्टि के निर्माण के बारे में कौन सी कहानी प्रचलित है। सृष्टि के आरंभ में … Read more

लक्ष्मी जी की अंगूठी

लक्ष्मी जी एक निर्धन व्यक्ति था। वह नित्य भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करता। एक बार दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी की श्रद्धा-भक्ति से पूजा-अर्चना की। कहते हैं उसकी आराधना से लक्ष्मी प्रसन्न हुईं। वह उसके सामने प्रकट हुईं और उसे एक अंगूठी भेंट देकर अदृश्य हो गईं। अंगूठी सामान्य नहीं थी। उसे पहनकर … Read more

कर्ण का जन्म

कर्ण कर्ण का जन्म धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के लालन पालन का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्या पढ़ने भेजे गये। धृतराष्ट्र बल विद्या में, पाण्डु धनुर्विद्या में तथा विदुर धर्म और नीति में निपुण हुये। युवा होने पर धृतराष्ट्र अन्धे होने के कारण राज्य के उत्तराधिकारी न बन सके। … Read more

कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य की कथा

कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था। उनका जन्म बाणों के साथ हुआ था। उन्हें वेदाभ्यास में जरा भी रुचि नहीं थी और धनुर्विद्या से उन्हें अत्यधिक लगाव था। वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गये कि देवराज इन्द्र उनसे भयभीत रहने लगे। इन्द्र ने उन्हें साधना से डिगाने के लिये … Read more

किरात से युद्ध

किरात से युद्ध हिमालय की तराई में एक सघन वन था। वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे। वहीं जगह-जगह ऋषियों की झोंपड़ियां भी बनी हुई थीं। ऐसा लगता था मानो प्रकृति ने अपने हाथों से उस वन को संवारा हो। उन्हीं झोंपड़ियों के पास एक तेजस्वी युवक बहुत दिनों से अंगूठे के बल खड़ा … Read more

महर्षि वेदव्यास के जन्म की कथा

महर्षि वेदव्यास प्राचीन काल में सुधन्वा नाम के एक राजा थे। वे एक दिनआखेट के लिये वन गये। उनके जाने के बाद ही उनकी पत्नी रजस्वला हो गई। उसने इस समाचार को अपनी शिकारी पक्षी के माध्यम से राजा के पास भिजवाया। समाचार पाकर महाराज सुधन्वा ने एक दोने में अपना वीर्य निकाल कर पक्षी … Read more