जो भी भक्त सावन के व्रत या पूजा करता है भोले शंकर उसकी सब मनोकामनाएँ पूर्ण करते है
पुराणों और लोक कथाओं में वर्णित है। एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें शिव भगवान के भक्त बिरभंगन नामक राजकुमार और उसकी पत्नी भागीरथी की कथा है।
पुराणों और लोक कथाओं में वर्णित है। एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें शिव भगवान के भक्त बिरभंगन नामक राजकुमार और उसकी पत्नी भागीरथी की कथा है।
कथा के अनुसार, बिरभंगन राजकुमार बहुत ही धार्मिक और भक्तिमय थे। वह और उनकी पत्नी भागीरथी नियमित रूप से सावन के सोमवार के व्रत का पालन करते थे।
उन्हें भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता था। वे ध्यान से शिवलिंग पर जल चढ़ाते, बेलपत्र, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप, गंध आदि से पूजा करते थे और मन्त्र जाप करते थे।
एक बार सावन के सोमवार को, जब बिरभंगन और भागीरथी सावन की शिव पूजा करने के लिए शिव मंदिर गए, तो वहां एक गरीब और असाधारण दिखने वाले वृद्ध
ब्राह्मण भी पूजा के लिए मौजूद थे। बिरभंगन ने वह ब्राह्मण संतुष्ट करने के लिए उससे पूछा कि क्या उसे कुछ चाहिए।
ब्राह्मण ने कहा कि उसे अपने गाँव में बहुत समस्या हो रही है और वह एक पुण्य नदी की आवश्यकता है ताकि उसे औषधि और वनस्पति उगाने के लिए उपयोग कर सके।
उगाने के लिए उपयोग कर सके। बिरभंगन ने तुरंत वचन दिया कि वह नदी उनके गाँव में प्रवाहित करवाएंगे।
सावन सोमवार व्रत कथा
बिरभंगन और भागीरथी ने नदी के प्रवाह के लिए बहुत मेहनत की और उन्होंने अपने राज्य की संपत्ति से यज्ञ का आयोजन किया ताकि नदी का प्रवाह शुरू हो सके।
वे शिव मंदिर में शिवलिंग पर धूप, दीप, बेलपत्र, बिल्वपत्र आदि से पूजा करते रहे और मन्त्र जाप करते रहे।
शिव भगवान ने देवी पार्वती से कहा कि इस धार्मिक और विधिवत सावन के सोमवार के व्रत के कारण बिरभंगन और भागीरथी ने उनकी प्रसन्नता हासिल की है और वह अपनी संतान की प्रार्थना सुनने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
देवी पार्वती ने बिरभंगन और भागीरथी की प्रार्थना को सुना और उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनकी संतान अस्वर्गीय होगी और महादेव नाम का सन्तानी पुत्र पैदा होगा।
इस तरह, बिरभंगन और भागीरथी को देवी पार्वती की कृपा प्राप्त हुई और उन्हें एक सन्तानी पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम महादेव रखा गया।
इस कथा के आधार पर सावन के सोमवार के व्रत का महत्व और फल वर्णित होता है।इस कथा के अतिरिक्त, सावन सोमवार के व्रत को रखने से
सोमवार के व्रत को रखने से मान्यता है कि भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सावन महीने का महत्वहिंदू मान्यता के अनुसार सावन वर्ष का पांचवा महीना है और इसी महीने से वर्षा की शुरुआत होती है। इस महीने में वर्षा से जीव-जंतुओं और पौधों में जान पड़ जाती है