श्रावण महात्मय अध्याय – shravan maas mahatmya

श्रावण महात्मय अध्याय

इस कलिकाल में श्रावण महात्मय अध्याय का पाठ सर्व फलदायक होने के साथ मुक्तिदायक भी है। नित्य पाठ से जो आनन्द की अनुभूति होती है, वह पाठ करने वाले भली प्रकार जानते हैं। किसी भी सत्य कार्य में सहायता देना भी भक्ति का अंग है।

सावन महीने का महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार सावन वर्ष का पांचवा महीना है और इसी महीने से वर्षा की शुरुआत होती है। इस महीने में वर्षा से जीव-जंतुओं और पौधों में जान पड़ जाती है

यदि भगवान शिव को प्रसन्न करना हो तो यह महीना सबसे उत्तम है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस महीने में भगवान शिव का मां गौरा से पुन: मिलन हुआ था इसीलिए यह महीना भगवान शिव को बहुत बहुत प्रिय है।

पौराणिक कथा के अनुसार सावन महीने में ही समुंद्र मंथन हुआ था। इस मंथन दौरान जब विष निकला तो सृष्टि के देव महादेव ने विष का पान करके उसे अपने कंठ में रोक लिया। ऐसा करने से भगवान शिव के शरीर में विष की गर्मी बढ़ने लगी। महादेव के शरीर से विष के प्रभाव को कम करने के लिए फिर सभी देवी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव को जल अर्पण किया।

इसीलिए सावन का महीना भगवान शिव को जल अर्पण करने का विशेष है।

शिव पुराण के अनुसार यदि कोई भी साधक इस महीने में सोमवार के व्रत करता है तो भगवान शिव उसकी समस्त मनोकामनाएं को पूरा करते हैं।

इस महीने में कुंवारी स्त्रियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भगवान शिव को जल चढ़ाती हैं व्रत रखती हैं और उनकी पूजा करती हैं।

विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव के व्रत रखती हैं और उनकी पूजा करती हैं।

भगवान शिव से भक्ति प्राप्त करने के लिए भी यह महीना बहुत उपयुक्त है।

श्रावण मास में शिवभक्त हरिद्वार गंगोत्री से शिव भक्त कावड़ में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करके भगवान शिव को गंगाजल अर्पण करते हैं ।

श्रावण महात्मय अध्याय

श्रावण महात्मय अध्याय

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