नवग्रह शांति ,पूजन विधि, यंत्र व दोष निवारक, सरल उपाय
नवग्रह परिचय
संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति पंच महाभूतों से हुई मानी जाती है एवं ग्रहों की मनुष्यों के साथ संबंधों की व्याख्या इसी आधार पर की जाती है ।
साधारणतया प्रत्येक अवस्था में मनुष्य इन ग्रहों की दशा से प्रभावित होता है, परन्तु जातक के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति उसे अत्यधिक प्रभावित करती है। वस्तुतः ग्रहजनित दुष्प्रभावों को कम करने या समाप्त करने के लिए शास्त्रकारों द्वारा मंत्रों को प्रभावशाली बताया गया है।
कुछ ऐसे ही उपायों की जानकारी ज्योतिष में मिलती है जो साधारण दिखने पर भी असाधारण चमत्कारी प्रभाव के होते हैं। ग्रहों का परिचय, व्रत-विधान, दान-पुण्य, स्नान, रत्न-धारण, यंत्र-मंत्र एवं टोटके व उपायों की जानकारी देती है।
नवग्रह कौन से होते है ?
● सूर्य ग्रह
● चंद्र ग्रह
● मंगल ग्रह
● बुध ग्रह
● बृहस्पति ग्रह
● शुक्र ग्रह
● शनि ग्रह
● राहु ग्रह
● केतु ग्रह
नवग्रह शांतिपाठ – पूजन विधि, यंत्र व दोष निवारक और सरल उपाय
सूर्य ग्रह (ग्रहों के अधिपति)
इस ग्रह का दिन रविवार है। सूर्य दसवें, सातवें व छठे घर में अशुभ फल देता है परन्तु ग्यारहवें, बाहरवें, नौवें, आठवें और पांचवें घरों में शुभ फल देता है। नवग्रहों में सूर्यदेव को राजपद प्राप्त है। सूर्य को पापीग्रह माना गया है।यद्यपि पृथ्वी पर इसके प्रभाव से ही अनाज, धातु तथा पेट्रोलियम पदार्थों की उत्पत्ति हुई है। ..read more
चंद्र ग्रह (सौंदर्य का प्रतीक)
इसका दिन सोमवार है। रंग दूध के समान सफेद हैं। यह राहू से माध्यम एवं केतु से ग्रहण योग बनाता है एवं अशुभ फलदाई होता है। चंद्रमा पीड़ाहारी है। प्रजापति दक्ष ने अपनी २७ (27) कन्याओं का विवाह चंद्रमा से कर दिया था।चंद्रमा की ये २७ पत्नियां ही २७ नक्षत्रों के रूप में जानी जाती हैं। ..read more
मंगल ग्रह – (युद्ध का देवता)
मंगल ग्रह का वार मंगलवार है, रंग लाल है। मंगल चौथे व आठवें घर में अशुभ फलदाई है। जातक रक्त की कमी के कारण अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहता है। उसकी आंखें खराब हो जाती हैं।जातक संतान से वंचित रहता है। विवाह संबंधी अड़चनें आती हैं। …read more