माँ आनन्देश्वरी – आनंद का वर देने वाली
कौन कहता है की माता रानी एक मूर्ति रूप ही है – अरे ! माँ ऐसी शक्ति है जो तत्काल प्रकट हो जाती है बस मन में याद करते करते वो हमारे सन्मुख आ जाती है। बस एहसास करने की देर है। ..आइए सुनाए आपको माँ आनन्देश्वरी की साक्षात् लीला
माँ दुर्गा के नौ रूपों में नौ औषधियाँ
नौ औषधियों में वास है नवदुर्गा का माँ दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां, जिन्हें मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है।
देवी के अवतार

महाशक्ति के नौ रूप कौन से हैं ?
शिव पुराण की एक कथानुसार – जिन-जिन स्थानों पर अंग गिरे वह शक्तिपीठ माने गयेमहाशक्ति के नौ रूप – नैनादेवी, चिन्तपुर्णी …आगे पढ़े
देवी माँ का विराट रूप कैसा है ?
सोचिए कि एक हजार सूर्य एक ही आकाश-मण्डल में एक साथ उदय हो गए। ऐसा है उसका रूप, ऐसा है उसका तेज। सूर्य और चन्द्र उसके दोनों नेत्र हैं।…आगे पढ़े
श्री बाँकेबिहारी जी कैसे प्रकट हुए ?
श्री बिहारीजी महाराज के दर्शन तो आपने किये ही होंगे। मन्दिर के विशाल चौक में प्रवेश करते ही ऊंचे जगमोहन के पीछे निर्मित गर्भगृह में भव्य सिंहासन पर विराजमान -श्री बिहारीजी के दर्शन होते हैं।
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चालीसा
माँ आनन्देश्वरी का दरबार
माँ आनन्देश्वरी के दर्शन

माँ आनन्देश्वरी की साक्षात् लीला
माँ आनन्देश्वरी के प्राकट्य की गाथा
सच्ची ज्योत रीझती ना झूठ ना पाखंड से,प्रेम से बुलाओ ना पुकारे रे घमंड से
इसे सरोकार नहीं जोर नहीं शोर से,यह तो बंध जाती है रे आस्था की डोर से
माँ आनन्देश्वरी – जयकारा शेरावाली दा बोल साँचे दरबार की जय
माँ की महिमा तो जितनी गाए उतनी कम है हममें इतनी शक्ति नहीं की हम उसकी लीला का गायन कर सके। माता रानी क्र प्राकट्य के बारे में जो भी यहाँ बताया जा रहा है यह सब उसकी शक्ति द्वारा ही जो असल में हुआ है वही लीला के बारे में बताया गया है क्यूंकि हममे इतनी शक्ति नहीं खुद से कुछ लिखें और बोले हमारे तो स्वांस भी अपने नहीं हमारा शरीर अपना नहीं तो हम फिर किसकी शक्ति से बोलते है ? किसकी शक्ति से लिखते है ? किसकी शक्ति से चलते है ?
उस आदि शक्ति की शक्ति से हम बोलते चलते और लिखते है वो शक्ति जो हम सब में विध्य्मान है
माँ के नवरात्रे 4 अक्तूबर 2005 को माँ के नवरात्रे शुरू हुए। दरबार में पहली बार अखंड ज्योत जगाई गई। माँ की ज्योत जगाई थी तो माँ का कीर्तन भी होता था।
रोजाना 3 से 5 बजे तक दोपहर को माँ का आनंद से भरपूर माँ के नवरात्रे 4 अक्तूबर 2005 को माँ के नवरात्रे शुरू हुए। दरबार में पहली बार अखंड ज्योत जगाई गई। माँ की ज्योत जगाई थी तो माँ का कीर्तन भी होता था। होता था। इतना आनंद आता की सभी माँ के रंग में रंग जाते थे कई सांगतो को तो माँ ने अपने होने का एहसास भी दिला दिया था की में तो यही पर विराजमान हूँ- आदि शक्ति जो है – एहसास तो दिलाना ही था । वाह जी वाह ! क्या अदभुत नजारा था जो कभी देखा न था कभी सुना न था….
Maa Anandeshwari Dham
माँ सरस्वती – ज्ञान शक्ति, महाकाली – क्रिया शक्ति और माँ लक्ष्मी – द्रव्य शक्ति
सरस्वती ज्ञान शक्ति है। माता सरस्वती वन्दन करनेके लिये कहा गया है-। ज्ञान को टिकाना बड़ा कठिन है। इस समय तो आप सभी ज्ञानी सन्त के जैसे ही बैठे -हो-वन्दन करने की इच्छा होती है। कितनी शान्ति रखते हो! अभी तो शान्ति है- यहाँ से घर में जानेके बाद भोजन की तैयारी न हो तो – आपकी शान्ति रहेगी कि नहीं – शंका है।
मानव-समाज में सन्त है। सभा में मानव – ज्ञानी है। घर में जाने के बाद उसका ज्ञान कहाँ चला जाता है, कुछ पता नहीं। कितने लोग घर में भी ज्ञानी होते हैं। दरवाजा बन्द करने के बाद एकान्त में उनका ज्ञान बह जाता है सरस्वती माता ज्ञान-शक्ति हैं।संसार शक्ति के आधार से है, द्रव्य-शक्ति, ज्ञान-शक्ति और क्रियाशक्ति।
क्रिया-शक्ति ही महाकाली है, द्रव्य-शक्ति ही महालक्ष्मी है और ज्ञान-शक्ति ही महासरस्वती है।
सनातन धर्म में शक्तिके साथ ब्रह्मकी पूजा होती है। शक्ति-विशिष्ट ब्रह्म की भक्ति होती है। सरस्वती माता ज्ञान-शक्ति है।
ज्ञान प्राप्त करना बड़ा कठिन नहीं है, ज्ञान में स्थिर रहना बड़ा कठिन है आओ हम सब मिलके प्रार्थना करें माँ सरस्वती को हे सरस्वती माता आपके चरणों में मैं वन्दन करता हूँ जो कुछ मैं सुनूँ-मेरा ज्ञान टिके, ज्ञान स्थिरता आये।
