शिव मंत्र | shiv mantra –  तत्काल फल देने वाले शिव मंत्र

शिव मंत्र | shiv mantra

भगवान शिव ने ही ब्रह्मा, विष्णु ,महेश की उत्पन्न किया है। सारी सृष्टि की उत्पत्ति ,पालन व संहार करने वाले भगवान भोले शंकर ही हैं। भगवान भोले शंकर सबसे बढ़कर देवाधिदेव है है ।

भगवान शिव का षडक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय नित्य प्रतिदिन अधिक से अधिक करना चाहिए। मंत्र भगवान का सर्व शक्तिशाली आवाहन मंत्र है। साधक जितना ज्यादा इस मंत्र का जप करेगा उतनी ही उसके अंदर शांति और भक्ति उत्पन्न हो गई।

शिव मंत्र लिस्ट | shiv mantra list

भगवान शिव के लिए कुछ भी अदेय नहीं है। भगवान शिव के यह मंत्र पापों को नाश करने वाले मन को पवित्र करने वाले और भवसागर से जीवो को पार करने वाले हैं ।भक्तों पर सहज ही कृपालु होने वाले देवाधिदेव की आराधना के लिए यह मंत्र अनुपम सिद्ध होगें ऐसा हमें विश्वास है।

शिव का बीज मंत्र

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

तत्काल फल देने वाला शिव मंत्र

ऊं भूर्भुव: स्व ऊं हौं जूं स: ऊं। 

यह शिव मंत्र भी शिव जी का बीज मंत्र है जो तत्काल फल देता है।

महामृत्युंजय मंत्र

शिव मंत्र | shiv mantra - महामृत्युंजय यंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

यह मंत्र भगवान शिव का बड़ा शक्तिशाली मंत्र हैं।संतान प्राप्ति के लिए भी यह मंत्र लाभदायकहै। इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह शिव मंत्र मृत्यु शैया पर लेटे हुए व्यक्ति को भी यह जीवन प्रदान कर सकता है।

षडक्षर मंत्र

ॐ नमः शिवाय

यह षडक्षर मंत्र सभी दुखों का निवारण करने वाला मंत्र है। इस मंत्र द्वारा भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति प्राप्त होती है।

पंचाक्षर मंत्र

 नमः शिवाय

यह भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र है इस मंत्र द्वारा भगवान शंकर की कृपा बरसती है

वेदसार शिव स्तोत्रम् | Vedsar Shiv Stotram lyrics

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम |
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन् ।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूपः प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप |4|
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम् |5|
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा ।
 न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड | 6 | 
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम् । 
तुरीयं तमःपारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम | 7 | 
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते ।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम् ।8। 
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्। 
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्यः ।9।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्। 
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि ।10।
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।
इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितो वेदसारशिवस्तवः संपूर्णः ॥

श्री रुद्राष्टकम् | Shri Rudrashtakam

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम्

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमाल प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्

न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भूः प्रसीदति ।

श्री शिव बिल्वाष्टकम | Shri Shiva Bilvashtakam

त्रिदतं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पण

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रेः कोमलैः शुभेः तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पण

कोटि कन्या महादान तिलपर्वत कोटयः काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पण

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऎकबिल्वं शिवार्पणं

इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारॊ महॆश्वराः नक्तं हौष्यामि दॆवॆश ऎकबिल्वं शिवार्पणं

रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा तटाकानिच सन्धानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं

उमया सहदॆवॆश नन्दि वाहनमॆव च भस्मलॆपन सर्वाङ्गम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

सालग्रामॆषु विप्राणां तटाकं दशकूपयॊः यज्ज्रकॊटि सहस्रस्च ऎकबिल्वं शिवार्पणं

दन्ति कॊटि सहस्रेषु अश्वमॆध शतक्रतौ कॊटिकन्या महादानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं अर्घोर पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

सहस्रवॆद पाटॆषु ब्रह्मस्तापन मुच्यतॆ अनॆकव्रत कॊटीनाम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

अन्नदान सहस्रेषु सहस्रप नयनं तधा अनॆक जन्मपापानि ऎकबिल्वं शिवार्पणं

बिल्वस्तॊत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ शिवलॊकमवाप्नॊति ऎकबिल्वं शिवार्पणं

Jyotirlinga Stotram

श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम् । तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् । अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्

कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय । सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम् । सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि

याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः । सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये

महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः । सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे । यद्धर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे

सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः । श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि

यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च । सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम् । वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये

इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् । वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये

ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण । | स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च

इति द्वादश ज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

Shiv gayatri mantra

ॐ तत् पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमही तन्नो रुद्र प्रचोदयात

सर्वशक्तिशाली शिव मंत्र

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नमः शिवायः ॥ मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नमः शिवायः ॥

यह मंत्र भगवान शिव का सर्व शक्तिशाली मंत्र हैं।इस मंत्र का जाप सिर्फ 108 बार करने से दैवीय शक्तियां मिलने लगती हैं।

भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं। यह इतने भोले हैं कि इनको कोई प्रेम और निस्वार्थ भाव से याद करें तो यह उस पर भी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं ।

धनदायक शिव मंत्र

ॐ ह्रीं ह्रीं नमः शिवाय।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ 

जय मंत्र भगवान शिव का धन प्राप्त करने के लिए हैं। इस मंत्र का उच्चारण भगवान शिव के मंदिर जाकर उनके शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कीजिए ।भोलेनाथ आपके पुकार बहुत जल्दी सुनेंगे।आर्थिक तंगी को खत्म कर देंगे।

प्यार पाने का शिव मंत्र

ॐ ह्रीं नमः 

प्यार पाने के लिए सबसे पहले शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए । विधि-विधान के साथ भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करना चाहिए। इस मंत्र का पूरी स्वच्छता और पवित्रता के साथ 40 दिन में रोज एक हजार बार ॐ ह्रीं नमः जप करना चाहिए। यह मंत्र प्यार पाने के लिए और प्यार की सुरक्षा के लिए हैं।

दरिद्रता नाशक शिव मंत्र

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ 
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय । 
गंगाधराय गजराज-विमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ।।

भगवान शिव का यह मंत्र दरिद्रता दूर करने के लिए है। भगवान शिव का ध्यान करके इस मंत्र का रोजाना उच्चारण कीजिए।

पुत्र प्राप्ति के लिए शिव मंत्र

 ॐ नमः शिवाय

पुत्र प्राप्ति के लिए सोलह सोमवार के व्रत रखें। ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव को पंचामृत से जैसे दूध,दही जल,चावल और बेलपत्र से भगवान का अभिषेक कराएं।

ऋण मुक्ति शिव मंत्र

ॐ ऋण मुक्ति शिव मुक्तेश्वर महादेवाय नमः

हर मंगलवार के दिन शिव मंदिर में जाकर एक हजार बार इस मंत्र का जप करने से जातक को कर्ज से मुक्ति मिलती है। जब तक ऋण या कर्ज से छुटकारा नहीं मिल जाता तब तक हर मंगलवार 1000 मंत्र का जप करते रहें।

रोग मिटाने के लिए शिव मंत्र

ॐ नमः नीलकण्ठाय नमः 

इस मंत्र का उच्चारण रोगों या संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण रोगों या संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

अथ शिवनामावल्याष्टकम्

हे चन्द्रचूड़ मदमांतक शूलपाणो स्थाणो गिरिश गिरिजेश महेश शंभो । भूतेश भीतिभयसूदन ममनाथं संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष । । १ । ।

हे पार्वती हृदयवल्लभ चन्द्रमौल भूताधिष प्रथमनाथ गिरीशजाप । हे बामदेव भव रुद्र पिनाकपाणो संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष । । २ । ।

हे नीलकंठ वृषभध्वज पंचवक्त्र लोकेश शेष बलय प्रमथेश शर्व। हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्षः । । ३ । ।

हे विश्वनाथ शिवशंकर देवदेव गंगाधर प्रथमनायक नन्दिकेश । वाणेश्वरान्धकरिपो हर लोकनाथ संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष ।।४ ।।

वाराणसी पुरषते मणिकर्णिकेश वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश । सर्वज्ञ सर्वहृदयैक निवासनाथ संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष । । ५ । ।

श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो हे व्योमकेश शितिकण्ठ गणाधिनाथ । भस्मांगराग नृकपालकपालमाल संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष ।। ६ ।।

कैलास शैलविनिवासवृषाभकपे हे मृत्युञ्जयत्रिनयन त्रिजगन्निवास । नारायणप्रिय मदाग्रह शक्तिनाथ संसारदुःख गहनाज्जगदीश रक्ष ।।७।।

विश्वेश विश्वभवनाशित विश्वरूप विश्वात्मकत्रिभुवनैगुणाभिवेश । हे विश्ववन्द्यकरुणामय दीनवन्धो संसारदुःख गहनाञ्जगदीश रक्ष । । ८ ।।

गौरीविलासभुवनाय महेश्वराय पंचाननाय शरणागत कल्पकाय । शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुः खदहनाय नमः शिवाय।।९।।

अथ श्री शिवाष्टकम

प्रभु प्राणनाथ विभुं विश्वनाथं, जगन्नाथनाथंसदानन्दभाजम् ।। भवद्भव्य भूतेश्वरं कालरूपं शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे। । १ । ।

गले मुडमालं तनौ सर्पजालं, महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।। जटाजूट गंगोत्तरंगैविशालं, शिवं शंकरं शम्भु मीशानमीडे । । २ । ।

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरन्तम् ।। अनादि ह्यपारं महामोहमार शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे ।। ३ ।।

तटाधो निवास महाट्टाट्टहास, महापापनाशं सदा सुप्रकाशम् ।। गिरीशं गणेशं सुरेशं, महेशं शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे । । ४ । ।

गिरीन्द्रात्मजा संगृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदासन्नगेहम् ।। घरब्रह्मब्रह्मादिभिर्वन्द्य मानं शिवशंकरं शम्भुमीशानमीडे । । ५ । ।

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं, पदाम्भोजनम्नाय कामं ददानम् ।। बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं, शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे। । ६ । ।

शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्दपात्रं, त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।। अपर्णाकलत्रं चरित्रं विचित्रं, शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे।।७।।

हरं सर्पहारं विताभू विहारं, भवं वेदसारं सदानिर्विकारम् । । स्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्त, शिवं शंकरं शम्भुमीशानमीडे।।

स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणेः, पठेत्सर्वदाभर्ग भावानुरक्तः ।। सपुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं, विचित्रं समासाद्यमोक्षं प्रयाति ।। ९ ।।

शिवपञ्चाक्षर स्तोत्रम्

श्रीगणेशाय नमः ।। नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय ।। १ ।।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः तस्मै मकाराय नमः शिवाय ।।२।।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्यय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषभाध्वजाय तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ।। ३ ।।

वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चित शेखराय । चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मे वकाराय नमः शिवाय ।।४।।

यक्षस्वरूपाय ‘जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै वकाराय नमः शिवाय । । ५ । ।

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।। ६ ।।

अथ शिवरक्षा स्तोत्रम

अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्याऋषिः । श्री सदाशिवो देवता ।अनुष्टुप्छन्दः । श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थ शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ।

वरित देव देवस्य महादेवस्य पावनम्। अपारं परमोदारं चतुर्वर्णस्य साधनम् । । १ । ।

गौरीविनायकोपेत पंचवक्त्र त्रिनेत्रकम् । शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नर । । २ ।।

गंगाधरः शिरः पातु भालमधेन्दुशेखरः । नयने मदनध्वंसी ऋणी सर्वविभूषणः ।। ३ ।।

घ्राणं पातु पुरारार्तिर्मुख पातु जगत्पतिः । जिव्हा बागीश्वर: पातु कंधरा शितिकंधरः ।।४।।

श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठ स्कंधो विश्वधुरंघुरः । भुजो भूमारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।। ५ ।।

हृदय शंकर पातु जठरं गिरिजापतिः । नाभि मृत्युजयः पातु कण्ठं व्याघ्राजिनांवरः । । ६ ।।

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः । ऊरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः । ।७।।

जंघे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः । चरणो करुणासिंधुः सर्वागानि सदाशिवः ।। ८ ।।

एतां शिवजलोपेतां रक्षा यः सुकृती पठेत । मुक्त्वा सकलन्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुवात।।९।

ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रेलोक्ये विचरन्ति ये । दूरादाथ पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात ।।१०।।

अभयंकर नामेदं कवचं पार्वतीपते। भक्त्या विभर्ति यः कण्ठे यस्य वश्यं जमत्त्रत्रम् ।। ११ ।।

इमां नारायणः स्वप्नेशिवरक्षा यथाऽऽदिशत्। प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत्

अथ मृत्युञ्जय स्तोत्रम्

कैलासज्योत शुदस्फटिकसन्निभ। तमोगुणविहाने तु जरामृत्युविवर्जिते ।।१।।

सर्वार्थ सम्पदाधारे सर्वज्ञान कृतालय। कृताञ्जलिपुटा ब्रह्मा ध्यानासीन सदाशिवम ।।२।।

प्रपच्छ प्रणतो भूत्वा जानुभ्यामवनि गत । सर्वार्थ सम्पदाधारी ब्रह्मलोकपितामहः ।।६।।

ब्रह्मोवाच

केनोपायेन देवेश विरापुनामाभवत् । तन्म ब्रहम महेशान लोकाना हितकाम्यया ।।४।।

शिव ताण्डव स्तोत्रम्

जटाकटाहसंभ्रमन्निलिम्प निर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि । बगद्गद्गज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षण मम । । १ । । 

जटाटवरगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम् ।डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकारचंडतांडवं तनोतु शिवः शिवम्।।२।। 

धराधरेन्द्रनंदिनी 'विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसंतति प्रमोदमानमानसे । 
कृपाकटा क्षधोरणीनिरुद्धर्धर परापदिक्वचिद्दगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि । । ३ । । 

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणाममणिप्रभाकदम्बकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे नः । । ५ ।।

मदान्धसिंधुरस्फुत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदमद्भुतं विभर्तु भूतभर्तरि ।।४।।ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रि पीठभूः ।भुजंगराजमालया निबद्ध जटाजूटकः श्रियैचिराय जायताञ्चकोरबन्धु शेखरः । । ६ । ।

करालभालपट्टिकाधगद्गद्गज्ज्वलद्वनञ्जयाधरीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पनित्रिलोचने रतिर्मम् ।।७।। 

नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहू निशीथिनीतमः प्रबन्धकन्धरः निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतकुतिसुन्दरः कला निधानबन्धुरः श्रियंजगधुरन्धरः । । ८ । ।

प्रफुल्लनीलपंकज पञ्चकालिमप्रभावलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् । स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदान्धकाच्छिदंमनन्तकच्छिदं भजे । । ९ ।।

 अखर्वसर्वमलाकलाकदम्बमञ्जरीरसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकंगजान्तकान्धकन्तमनन्तकान्तकंभजे ।। १० ।।

जयत्यदनिविभ्रमस्फुरदभु जंगम श्वसद्विनिर्गमक्रमस्फुरत्कारालभालहव्यवाट् ।धिमिन्धिमिन्धिमिन्ध्वनंमृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तितंप्रचण्डताण्डवः । । ११ । ।

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजामौक्तिकस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोःसुहृद्विपक्षपक्षयोः । 
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिव भजाम्यहम् ।। १२ ।। 

कदानिलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरेवसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरस्थमञ्जलिं बहन । विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेतिमन्त्रमुच्चरन्सदासुखी भवाम्यहम् ।। १३ ।। 

निलिम्पनाथनागरीकदम्बमौलिमल्लिका निगुम्फनिर्भरक्षरन्मघृष्णिकामनोहरः ।तनोतुनो मनोमुदं विनोदिनीमहर्निशंपरश्रियः परम्पदन्तदंगजत्विषाञ्चयः । । १४ । ।

प्रचण्डवाडवानल प्रभाशुभप्रचारिणी महाष्टसिद्विकामिनीजनावहूतजल्पना ।विमुक्तवामलोचनाविवाहकालिकध्वनिः शिवेतिमन्त्रभूषणाजगज्जयायजायतम् ।। १५ ।।

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीत शम्भुपूजनमिदं पठति प्रदोषे । तस्यस्थिरां रथगजेन्दु तुरंगयेक्ता लक्ष्मी सदैवसुमुखीं प्रददाति शम्भुः ।। १६ ।।

शिव मंत्र | shiv mantra PDF


maa durga mantra in hindi

कबीर दास के दोहे 


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