अन्नपूर्णा भगवती स्तोत्र
अन्नपूर्णा भगवती स्तोत्र
जगत जगदीश्वरी मां जगदम्बे आशा पूर्ण करती रहो।
अन्नपूर्णा दाती हो तुम सदा भण्डारें भरती रहो।
द्वारे तेरे आया सवाली कभी निराश जावे ना ।
– भक्ति शक्ति दे मां अम्बे तेरे ही गुण गावे मा।
तू है दाती दिलां दी जाने, चिन्तपूर्ण कहलाती हो।
चिन्ता दूर करो मां मेरी, सब को सुख पहुचाती हो।
तेरी माया का भरमाया, मैं हूं दास निमाना मां।
शरण तेरी मैय्या मैं आया, आशा पूरी करना मां।
ज्वाला हो तुम मां जगदम्बे, उज्जवल मेरा भविष्य करो।
बदल दो दाती किसम्त मेरी, उल्टें लेख भी सीधे करो।
तुम बिन कोई नहीं मां मेरा, शर्ण तुम्हारी आया हूं।
काम कोई भी सिद्ध न होवे, कई यत्न कर हारा हूं।
बरकत भर दो हाथ में मेरे, कृपा इतनी करना मां।
अन्नपूर्णा मां जगदम्बे, भण्डारे सदा ही भरना मां ।
मेरे परिवार की रक्षा करना, कर्ज न कोई सर पर रहे।
ऐसी कृपा करों तुम दाती, व्यापार मेरा भी बढ़ता रहे।
दया तेरी जिस पर हो मैय्या, कभी निराश जाये ना।
बिगड़े काम भी बन जाते है।, शरण तेरी जो आयें मां ।
रक्षक बन रक्षा हो करती, दास के संकट दूर करो।
शरण तेरी ‘चमन’ मां आया, अन्नपूर्णा भण्डारे भरो।
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