चंद्र ग्रह
चंद्र ग्रह का दिन सोमवार है। रंग दूध के समान सफेद हैं। यह राहू से माध्यम एवं केतु से ग्रहण योग बनाता है एवं अशुभ फलदाई होता है। चंद्रमा पीड़ाहारी है। प्रजापति दक्ष ने अपनी २७ (27) कन्याओं का विवाह चंद्रमा से कर दिया था।
चंद्रमा की ये २७ पत्नियां ही २७ नक्षत्रों के रूप में जानी जाती हैं। चतुर्थ स्थान में चंद्रमा बली और मकर से छह राशियों में इसका चेष्टाबल होता है। बली चंद्रमा ही चतुर्थ भाव में अपना पूर्ण फल देता है।
व्रत का नियम
व्रती सोमवार के दिन प्रातःकाल काले तिल का तेल लगाकर स्नान करे। स्वच्छ वस्त्र धारण करे एवं शांत चित्त से व्रत का संकल्प ले।
व्रत के दिन एक ही समय भोजन करे। व्रत की समाप्ति से पूर्व रविवार की कथा सुने या पढ़े। इस तरह व्रती को उत्तम सुखों को भोगने का सुअवसर मिलता है। उसकी कामनाएं पूर्ण होतीं एवं परिवार में शांति रहती है।
यन्त्र एवं मन्त्र
इस चंद्र यंत्र को सोमवार के दिन से अष्टगंध एवं अनार की कलम से ४५(45) दिन तक लिखें रोज १०८ (108) यंत्र लिखें। ४५वें दिन चंद्र ग्रह का पंचोपचार पूजन, हवनादि करके सारे यंत्रों को अलग-अलग आटे की गोलियों में भरकर नदी में बहा दें या मछलियों को खिलाएं। इससे हर प्रकार के चंद्र दोष शांत होंगे तथा भौतिक सुख प्राप्त होंगे।
मंत्र : श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः
चंद्रदेव स्वास्थ्य, सौंदर्य, प्रेम, सम्मान तथा पारिवारिक वैभव देने में बहुत उदार हैं। उनकी कृपा पाने के लिए चंद्र मंत्र का जप लाभकारी है। ध्यान रहे कि मंत्र जप का प्रारंभ सदैव सोमवार के दिन करना चाहिए। कम से कम ग्यारह माला जप प्रतिदिन अवश्य करें।
दान व स्नान
इसी तरह शंख, कपूर, घृत, मिश्री, मोती, चावल, श्वेत बैल अथवा गाय, बांस की टोकरी, दही, श्वेत पुष्प, घड़ा तथा दक्षिणा- इन वस्तुओं का दान करने से पीड़ा का शमन हो जाता है। चन्द्रमा से सम्बन्धित पीड़ा शांत करने के लिए बैल अथवा गाय के स्थान पर उसका प्रतीक रूप कोई खिलौना भी दान दे सकते हैं।
पंचगव्य अर्थात् गाय का दूध, दही, घी, गोबर तथा मूत्र, शंख, सीप, हाथी का मद, स्फटिक एवं श्वेत चंदनयुक्त जल से स्नान करने से भी चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है।
स्वामी पूजन
चंद्र के स्वामी भगवान शिव हैं। शिव कला और ज्ञान के अधिष्ठाता हैं। इनका प्रिय मंत्र है ‘ॐ नमः शिवाय’ । इस पंचाक्षर मंत्र की सिद्धि २४(24) लाख जप करने से होती है।
एक करोड़ जप करने वाला साक्षात् शिव स्वरूप हो जाता है। ‘पंचाक्षर स्तोत्र’ का पाठ करने से मन का संतुलन बनता है। ‘शिव महिम्न स्तोत्र’ का श्रद्धापूर्वक किया गया पाठ मनोरोगों को दूर कर दीर्घायु प्रदान करता है।
रत्न धारण
मोती को चंद्रमा का रत्न माना गया है । २, ४, ६ या ११ रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में सोमवार को जड़वा कर शुक्लपक्ष के सोमवार को विधि से पूजा करके धारण करना चाहिए। मोती के साथ हीरा, पन्ना, नीलम या वैदूर्य कभी धारण नहीं करना चाहिए। नीचे दिए मंत्र का ग्यारह हज़ार जप करने के पश्चात् संध्या के समय ही इसे धारण करें।
ॐ सों सोमाय नमः
टोटके व उपाय
● स्वयं या परिवार को रोग-संबंधी परेशानी हो तो कुल देवी या देवता की उपासना करें।
● बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
● दूध या पानी से भरा बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
● सुबह उससे बबूल वृक्ष की जड़ को सींचें ।
● सोमवार को दूध-चावल का भोजन करें।
● सोमवार का व्रत रखें। महादेव जी की पूजा करें।
● चांदी की अंगूठी धारण करें।
● खीर कन्याओं को खिलाएं। स्वयं दही का भोजन करें।
● मां-पुत्र पर अशुभ प्रभाव हटाने के लिए दोनों गले में चांदी का टुकड़ा पहनें।