जिसने अपनी सोपदी,लाडली दे हाथ डोर

जिसने अपनी सोपदी,लाडली दे हाथ डोर,
फिर कभी बिगड़ती ना सुनी, उसकी नंदकिशोर,
मुझे एक भरोसा भारी है,
मुझे एक भरोसा भारी है ,
मेरे संग राधा प्यारी है,

मैं जब बरसाने आऊ कुछ बोलो या ना बोलो,
मेरी झोली भारती जाती मुंह खोलो या ना खोलू,
अंतर मन सबकी जानती है, भीतर तक जानने वाली है,
मेरे मन की सब जानती है, अंतरमन जानने वाली है,
मुझे एक भरोसा भारी है,
अपने संग राजदुलारी है,

अपनी बगिया के फूलों को,
जाने कैसे यह चुन लेती,
मैं घर बैठी कोई बात करूं,
महलों में बैठे सुन लेती,
संदेश भेजकर कोई ना कोई,
पूछे कब आने वाली है,
मुझे एक भरोसा भारी है,मेरे संग राधा प्यारी है,
मुझे एक भरोसा भारी है अपने संग राधा प्यारी है,
दुनिया तो सताने वाली है यह रस बरसाने वाली है


कोई पाप दोष न जाने मेरे पास भी बहुत गलती,
मैं जब सीढ़ी चढ़ महलों की,
मेरी उंगली पकड़ कर चलती, कोई पाप दोष न जाने,
हर माफ हुई गलती,
जब मैं सीधी चाडू महलों,
की मेरी उंगली पड़कर चलती, और बार-बार सखी पूछती है,
इस बार तो रुकने वाली है, मुझे बार-बार यह पूछती है,
इस बार तू रहने वाली है,

संतों की करुणा है,मुझ पर मेरे भीतर जोत जगी हुई,
बाबा की रहमत है,मुझ पर मेरे अंदर जोत जगी हुई,
गुरुदेव की करुणा है,मुझ पर मेरे भीतर जोत जगी हुई,
राधा रानी सब जानती है,
मैं कई जन्मों से लगी हुई,
मेरी लाडली सब जानती है,
मैं कई जन्मों से लगी हुई,मेरी चीखें है सुनके आ जाएगी,
मेरी आहे सुनकर आएंगी,
इस बार उम्मीद भारी है, मुझे अपने संग ही ले,मुझे वापस घर को ले जाएंगे,
इस बार उम्मीद भरी है,
मुझे एक भरोसा भारी है,
अपने संग राधा प्यारी है,
अपने संग राज दुलारी है,
दुनिया तो रुलाने वाली है,
वह तो रस बरसाने वाली है,

श्री बाँकेबिहारी की अँगूठी लीला

Jindgi Main Jine Ka – रंग तूने प्रेम का जो मुझपे चढ़ाया

Leave a Comment