देवी को ‘नारियल’ की भेंट
देवी को नारियल की भेंट
सिर चमत्कारिक ढंग से जुड़ने और पुनः जीवित होने पर ध्यानू भक्त को आशीर्वाद रूप में माता ने वर मांगने को कहा तो भक्त ने देवी के चरणों में शीश भुकाकर प्रणाम करके निवेदन किया –
हे जगदम्बे ! आप – सर्वशक्तिमान हैं, हम मनुष्य अज्ञानी हैं, भक्ति की विधि भी नहीं जानते।
फिर भी विनती करता हूं कि हे जगद्माता! आप अपने भक्तों की इतनी कठिन परीक्षा न लिया करें। प्रत्येक सांसारिक जीव आपको शीश भेंट नहीं कर सकता।
अतः आप कृपा करके किसी साधारण भेंट से ही अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण किया करें।
तथास्तु ! अब से मैं शीश के स्थान पर केवल नारियल की भेंट व सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना द्वारा ही सब मनोकामना पूर्ण करूंगी। ऐसा कह माता अन्तर्ध्यान हो गई।
इसी कथा के आधार पर माता को नारियल भेंट चढ़ाने का विधान है।