धनतेरस का दिन धन की पूजा का दिन है। सचमुच में यह पर्व धन की पूजा अर्थात् धर्म की पूजा का पर्व है। धन जहां लक्ष्मी का प्रतीक है तो धर्म विष्णु का प्रतीक है। जहां विष्णु न होंगे वहां लक्ष्मी भी न होगी।
ऐसे ही जहां धर्म न होगा वहां धन भी नहीं रह पाएगा। इतिहास गवाह है कि जब-जब धर्म घटता है तो धन भी घट जाता है और धर्म बढ़ता है। तो धन भी बढ़ जाता है। धनतेरस का दिन धर्मदेव की पूजा का दिन है। जीवन में धर्म है तो लक्ष्मी आपको छोड़कर कहीं नहीं जाएगी।
आयुर्वेद के अधिष्ठाता भगवान धन्वन्तरी का जन्म भी धनतेरस को ही हुआ था । अतः इस दिन, उनकी पूजा-अर्चना का भी प्रावधान है, जो कि हमें स्वस्थ, रोगमुक्त एवं कांतिमय बनाए रखने का प्रतीक है। इस दिन लोग बड़ी मात्रा में सोना चांदी बर्तन आदि खरीदते हैं। यह बरकत का पर्व माना गया है।