भजन – मत मारो श्याम पिचकारी
मत मारो श्याम पिचकारी मोरी भीगी चुनरिया सारी रे
मत मारो श्याम पिचकारी
नाजुक तन मोरा रंग न डारो
शामा अंग-अंग मोर फड़के
रंग पड़े जो मोरे गोरे बदन पर
रूप की ज्वाला भड़के
कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे
मत मारो श्याम पिचकारी
काह करूँ कान्हा, रूप है बैरी मेरा रंग पड़े
छिल जाये देखे यह जग मोहे,
तिरछी नजरिया से मोरा जिया घबराये
कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे
मत मारो श्याम पिचकारी