मन नाम जप पर केन्द्रित –
प्रश्न: हमारी जिह्वा नाम जप तो कर रही होती है परंतु मन नाम जप पर केन्द्रित नहीं रह पाता है? क्या करें?
उत्तरः श्रीकृष्ण का नाम, रूप, लीला, गुण, धाम एक स्वरूप हैं इसलिए नाम जप करते हुए आरंभ में नाम पर ध्यान करना चाहिए और जब इससे मन बार-बार हट जाता है तब मन को रूप ध्यान पर लगा सकते हैं।
जब रूप से ध्यान हटे तो लीला पर लगा सकते हैं। यदि लीला से भी हटने लगे तो दिव्य गुणों पर और अंत में दिव्य धाम पर मन को केन्द्रित कर सकते हैं। सबसे सरल उपाय नामों पर मन को लगाना है और चूंकि मन चंचल है इसलिए बार-बार भौतिक आसक्ति जहाँ है वहाँ चला जाता है।
तो जप के समय (दो घंटे) वैराग्य लेकर मन को बार-बार भगवान् के नाम, रूप, लीला, गुण और धाम पर वापस लाना चाहिए। भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं-अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते मन को नाम पर केन्द्रित करने के लिए वैराग्य एवं अभ्यास करना चाहिए। यदि तब भी मन भटकता है तो भी माला जप चालू रखना चाहिए।
प्रश्नः भगवान् के रूप, गुण, लीला तथा धाम पर सतत चिंतन करने की सर्वोत्तम विधि क्या होगी?
उत्तर: किसी व्यक्ति के रूप, गुण, कार्यकलापों तथा उसके निवास का अनवरत चिंतन हमें तब होता है जब हमारे चित्त में उनके प्रति प्रेम हो। जैसे एक माता अपने शिशु से प्रेम करती है तो सदैव उसके विषय में अथवा उसकी देखभाल या उसके गुणों पर चिंतन करती रहती है।
उसी प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण के रूप, गुण, लीला तथा धाम पर हमारा सतत चिंतन तब हो सकेगा जब हमारे हृदय में उनके प्रति प्रेम होगा जिसकी एकमात्र विधि है उनकी प्रेममयी सेवा करना और श्रीकृष्ण की सर्वोत्तम सेवा है उनके दिव्य नामों का जप नामजप द्वारा हम श्रीकृष्ण से याचना करते हैं कि वे हमें अपनी सेवा में संलग्न करें और तब हमारा श्रीकृष्ण में प्रेम उत्पन्न होता है।
इस प्रकार हम सदैव उनके रूप, गुण, लीलाओं तथा धाम के स्वरूप का आस्वादन कर सकते हैं।