महा चण्डी स्तोत्र – धन दौलत कारोबार के लिए यह स्तोत्र पढ़े।
महा चण्डी स्तोत्र
जय चण्डी अम्बे महारानी। जय वरदाती जय कल्याणी ।
सिंह वाहिनी खड़ग धारनी। जय दुर्गा जय दैत्य संहारनी।
दक्ष सुता जय उमा भवानी। शंकर प्रियदाती सुखदानी।
चिंता सकल निवारन वाली। मुंड माल को धारने वाली।
मधु कैटम संहारे तू नैं । चण्ड मुण्ड भी मारे तू नें।
महिषासुर का सीस उतारा। रक्तबीज का पिया लहू सारा ।
शुम्भ निशुम्भ का नाम मिटाया। देवराज को तख्त बिठाया ।
भीड जभी देवों पर आई। तू ही चण्डी हुई सहाई।
खंडे वाली खप्पर वाली। तेरे दर का ‘चमन’ सवाली।
शारदा बन उपकार हो करती। लक्ष्मी बन भण्डार हो भरती।
तू ही वैष्णो तू ही बालिका, तू ही ज्वाला देवी कालिका ।
अमर सदा तेरी अमर कहानी। जय मां चण्डी आदि भवानी।
कलह क्लेश से मुझे बचाना। सगरी चिन्ता दूर हटाना।
कोई दुःख न मुझे सताये, कोई गम न मुझे दबायें।
गंधव देवों की माया । भूतप्रेत दैत्यों की छाया।
झूठे सच्चे सपनों का डर । जादू टोने यन्त्र मन्त्र ।
कर्जा झगड़ा कोई बिमारी। संकट आफत विपता भारी।
इनसे मैय्या मुझे बचाइयो। चण्डी अपनी दया दिखाइयों ।
तेरा भरोसा तेरा सहारा। तेरे बिन न कोई रखवारा।
तेरा हर दम ध्यान धरूं मैं। चरणों में प्रणाम करूं मैं।
मेरे औगुण ध्यान न धरियो। चंडिका मेरी रक्षा करियो ।
इज्जत मान बनाये रखना। शत्रुओं से भी बचाये रखना।
मेरा तेज बढ़ाती रहना। अपनी दया दिखाती रहना।
मेरे हाथ में बरकत भर दो। पूर्ण मेरी आशा कर दो।
अपना नाम जपाना मुझको। दाती सुखी बनाना मुझकों।
मेरे सिर पर हाथ धरो मां। ‘चमन’ का भी कल्याण करो ।
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
- श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
- पहला अध्याय
- दूसरा अध्याय
- तीसरा अध्याय
- चौथा अध्याय
- पांचवा अध्याय
- छटा अध्याय
- सातवां अध्याय
- आठवां अध्याय
- नवम अध्याय
- दसवां अध्याय
- ग्यारहवां अध्याय
- बारहवां अध्याय
- तेरहवाँ अध्याय