मां जगदम्बे की आरती
आरती जग जननी तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती।
किसको जाकर विनय सुनाऊं। आरती……
असुरों ने देवों को सताया। तुमने रुप धरा महा माया ।
उसी रूप के दर्शन चाहूं। आरती…….
रक्तबीज मधु कैटभ मारे। अपने भक्तों के काज संवारे ।
मैं भी तेरा दास कहाऊं। आरती…..
आरती तेरी करूं वरदाती। हृदय का दीपक नैनों की बाती।
निसदिन प्रेम की जोत जगाऊं। आरती……
ध्यानूं भक्त तुमरा यश गाया।जिस ध्याया माता फल पाया।
मैं भी दर तेरे सीस झुकाऊं। आरती. आरती तेरी जो कोई गावे।
‘चमन’ सभी सुख सम्पत्ति पावे। मैय्या चरण कमल रज चाहूं। आरती..
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
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श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
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