मेरो राधा रमण गिरधारी
★ संकीर्तन ★ मेरो राधा रमण गिरधारी गिरधारी श्याम बनवारी ॥ " सवैया” टेड़े पिटारे कटारे किरिट की, माँग के पाग की धारी की जै जै । कुण्डल सोहे कपोलन पै, मुस्कान हूँ धीर प्रहारी की जै जै ॥ राजेश्वरी दिन रात रट्यौ, यही मोहन की वनवारी की जै जै । प्रेम ते बोलो बोलत डोलो, बोलौ श्री बाँके बिहारी की जै जै ॥ मेरो राधा रमण गिरधारी गिरधारी श्याम वनवारी ॥ मन में है बसी बस चाह यही, प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूँ । बिठला के तुम्हे मन मंदिर में, मन मोहिनी रूप निहारा करूँ ॥ भर के दृग पात्र में प्रेम का जल, पद पंकज नाथ पखारा करूँ । वन प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभु, नित आरती भव्य उतारा करूँ ॥ मेरो राधा रमण गिरधारी गिरधारी श्याम बनवारी ॥ ब्रज भूमि जो प्रर्णो से प्यारी लगे, बृज मण्डल माहि वसाये रहो । रसिकन के संग में मस्त रहुँ, जगजाल से नाथ बचाये रहो ॥ नित बाकी ये झाँकी निहारा करु, छबि छाक से मोहे छकाये रहो । ऐ हो बाँके बिहारी विनती यही, नित नैना से नैना मिलाये रहो | मेरो राधा रमण गिरधारी गिरधारी श्याम वनवारी ॥
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