रामजी की निकली सवारी रामजी की लीला है न्यारी लिरिक्स

सर पे मुकुट सजे मुख में उजाला
मुख पे उजाला
हाथ धनुष गले में पुष्प माला
हम दास इनके यह सबके स्वामी

अंजान हम यह अंतस्यामी
शीश झुकाओ राम गुण गाओ
बोलो जय विष्णु के अवतारी

रामनी की निकली सवारी,
रामजी की लीला है न्यारी,

धीरे चला रथ ओ रथ वाले,
तोहे खवर क्या ओ भोले भाले,
एक बार देखे दिल ना भरेगा,
सो बार देखो फिर जी करेगा,
व्याकुल बड़े हैं कबसे खड़े हैं
दर्शन के प्यासे सब नर और नारी,
रामजी की निकली सवारी,
रामजी की लीला हैं न्यारी न्यारी,

चोदह बरस का वनवास पाया,
माता पिता का ववन निभाया,
धोखे से हर ली रावण ने सीता,
रावण को मारा लंका को जीता,
तब तब यह आए तब तब यह आए,
जब जब ये दुनिया इनको बुलाये,
रामजी की निकली सवारी,
रामजी की लीला हैं.

एक तरफ लक्ष्मण एक तरफ,
बीच में जगत के पालन,
रामजी की निकली सवारी,
रामजी की लीला हैं न्यारी,
रामजी की निकली सवारी,
रामजी की लीला है,

हम राम जी वाले है सियाराम वाले है लिरिक्सरा

जन के राजा महाराजन के महाराजा लिरिक्स

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