Ram Piya – राम पिया तोहे सिया बुलाए | Ujwal Gajbhar & Amyr Khandani | Manoj Muntashir | Neelam M,Kunwar Anshith

रावण और सिया सवांद
रावण – तुम एक सोने का हिरण चाहती थी सीता।
मैं सोने की पूरी लंका तुम्हें देता हूं।
बन जाओ मेरी पटरानी और भूल जाओ राम को।
सिया – तुम्हारी लंका में इतना सोना नहीं है रावण कि जानकी का प्रेम खरीद सके।
मेरे राम आएंगे और तुम्हारी लंका से मुझे ससम्मान ले जाएंगे।
प्राण बिना मैं रह लूं लेकिन
राम बिना मुश्किल रह पाना
टूटे घड़े का पानी हूं मैं
आज नहीं तो कल बह जाना
आज नहीं तो कल बह जाना
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
बिरहा का दुख अब सहा ना जाए
बिरहा का दुख अब सहा ना जाए
सहा ना जाए सहा ना जाए
राम पिया दोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे राम पिया……
क्या समझाऊं हे रघुराई
तुम बिन जीवन कैसे बीता
क्या समझाऊं हे रघुराई
तुम बिन जीवन कैसे बीता
बड़ा सरल है गणित प्रेम का
बड़ा सरल है गणित प्रेम का
राम घटे तो शून्य है सीता
राम घटे तो शून्य है सीता
राम पिया तोहे सिया बुलाए
बुलाए सिया बुलाए
राम पिया राम पिया
बिरहन की फरियाद है राघव
ये अंतिम संवाद है राघव
क्यों देखा ना तुमने मुड़ के
क्यों देखा ना तुमने मुड़ के
ये कैसाआघात है राघव
ये कैसा आघात है राघव
प्रेम समर्पण त्याग भरोसा
क्या ये मेरा अपराध है राघव
क्या ये मेरा अपराध है राघव
प्राण जाए पर वचन ना जाए
किसने कहा था याद है राघव
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया राम पिया
हो जिन रातों में चांद निहारा
उन रातों की तुम्हें कसम है
जिन रातों में चांद निहारा
उन रातों की तुम्हें कसम है
और ना बहने दो ये नैना
बरसातों की तुम्हें कसम है
और ना बहने दो ये नैना
बरसातों की तुम्हें कसम है
पूछ रही है विरहन आंखें
कब तोड़ोगे मेरी सलाखे
जिनसे धनुष तोड़ा था तुमने
उन हाथों की तुम्हें कसम है
आई गई कितनी श्यामें
सांवरिया बस तुम्ही ना आये
राम पिया तो है जिया बुलाए
राम पिया
राम पिया
राम पिया
हे विधना मेरी नियति लिख के
तूने कलम क्यों अपनी तोड़ी
तूने कलम क्यों अपनी तोड़ी
राम ना छोड़ा जब जीवन में
क्यों मेरे तन में साँसे छोड़ी
कहने वालों राम से कहना
पल पल तुम्हें पुकारे सीता
दोनों आंखे पत्थर हो गई
इतना राह निहारी सीता
इतना राह निहारी सीता
हे रघुनाथ तुम्हारे होते
बिरहन बनी तुम्हारी सीता
रावण उसको हरा ना पाया
राम के हाथो हारी सीता
राम के हाथो हारी सीता
हे विधना मेरी नियति लिख के
तूने कलम क्यों अपनी तोड़ी
तूने कलम क्यों अपनी तोड़ी
राम ना छोड़ा जब जीवन में
क्यों मेरे तन में साँसे छोड़ी
क्यों मेरे तन में सांसे छोड़ी
मेरी अर्ज समझ पाने में
उस दिन तुझसे भूल हुई
सोने का हिरना मांगा था
सोने की लंका थोड़ी
सोने का हिरना मांगा था
सोने की लंका थोड़ी
सोने का हिरना मांगा था
सोने की लंका थोड़ी
कब माँगा सुख वैभव दे दो
कब चाहा यश गौरव दे
कब माँगा सुख वैभव दे दो
कब चाहा यश गौरव दे
राघव दे दो सब कुछ लेके
सब कुछ लेके राघव को दे दो
राम पिया तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
तोहे सिया बुलाए तोहे सिया बुलाए
तोहे सिया बुलाए तोहे सिया बुलाए
तोहे सिया बुलाए तोहे सिया बुलाए
तोहे सिया बुलाए तोहे सिया बुलाए
तोहे सिया बुलाए तोहे सिया बुलाए
राम पिया तोहे सिया बुलाए
बिरहा का दुख अब सहा ना जाए
राम पिया …..
राम पिया …..