श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
नमस्कार देवी जयन्ती महारानी। श्री मंगला काली दुर्गा भवानी।
कृपालनी और भद्रकाली क्षमा मां। शिवा धात्री श्री स्वाहा रमा मां।
नमस्कार चामुण्डे जग तारिनी को। नमस्कार मधुकैटभ संहारिणी को।
नमस्कार ब्रह्मा को वर देने वाली।ओ भक्तों के संकट को हर लेने वाली।
तू संसार में भक्तों को यश दिलाये। तू दुष्टों के पंजे से सब को बचाये।
तेरे चरण पूजू तेरा नाम गाऊं। तेरे दिव्य दर्शन को हृदय से चाहूं।
मेरे नैनों की मैय्या शक्ति बढ़ा दे। मेरे रोग संकट कृपा कर मिटा दे।
तेरी शक्ति से मैं विजय पाता जाऊं।तेरे नाम के यश को फैलाता जाऊ।
मेरी आन रखना मेरी शान रखना। मेरी मैय्या बेटे का तुम ध्यान रखना।
बनाना मेरे भाग्य दु:ख दूर करना।तू है लक्ष्मी मेरे भण्डार भरना।
न निरआस दर से मुझे तुम लौटाना। सदा वैरियों से मुझे तुम बचाना।
मुझे तो तेरा बल है विश्वास तेरा।तेरे चरणों में है नमस्कार मेरा।
नमस्कार परमेश्वरी इन्द्राणी। नमस्कार जगदम्बे जग की महारानी।
मेरा घर गृहस्थी स्वर्ग सम बनाना।मुझे नेक संतान शक्ति दिलाना।
सदा मेरे परिवार की रक्षा करना। न अपराधों को मेरे दिल माहिं धरना।
नमस्कार और कोटि प्रणाम मेरा।सदा ही मैं जपता रहं नाम तेरा।
जो स्तोत्र को प्रेम से पढ रहा हो। जो हर वक्त स्तुति तेरी कर रहा हो।
उसे क्या कमी है जमाने में माता। भरे सम्पत्ति कुल खजाने में माता।
जिसे तेरी कृपा का अनुभव हुआ है।वही जीव दुनियां में उज्जवल हुआ है।
जगत जननी मैय्या का वरदान पाओ। ‘चमन’ प्रेम से पाठ दुर्गा का गाओ।
दोहा :- सुख सम्पत्ति सब को मिले रहे क्लेश न लेंश।
प्रेम से निश्चय धार कर पढे जो पाठ हमेश।
संस्कृत के श्लोकों में गूढ़ है रस लवलीन। ऋषि वाक्यों के भावों को समझे कैसे दीन।
अति कृपा भगवान की ‘चमन’ जभी हो जाए। पढ़े पाठ मनो कामना पूर्ण सब हो जाए।
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
- श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
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