श्री गौ चालीसा
तैंतीस कोटि देवों का, गौ की देह में वास । रक्षा करती मातु सम, सबको तुमसे आस।। तव चरणन में तीर्थ सब, सेवन करते लोग। गौशालाएं तीर्थ हैं, करें ताप मिटें रोग।।
जय जय जय गौमाता पावन । सुखदाता तुम दुःख नसावन।।।।।
रूद्रों की तुम माँ कहलाती। वसुओं की बिटिया सुखदाती ।।2।।
बहिन अदिति पुत्रों की सुजाना।
घृत के रूप में दिव्य खजाना।।3।।
जो स्पर्श करे चित लाई।
तीरथ का फल पावे भाई ॥4॥
जो तुमरी शरणागत आवें।
घोर पाप से वह बच जावें ॥5॥
तुम चैतन्य दया की दाता।
तुम हो सबकी भाग्य विधाता।।6।।
संततिहीन व्यक्ति यदि होई ।
जो श्रद्धा से सेवहिं तोई ॥ 7 ॥
नृप दिलीप की अमर कहानी। नंदिनी सेवत संतति पानी।।8।।
सकल कामना पूर्ण करो माता।
कामधेनु पा सब पा जाता॥9॥
अमृत तुल्य दुग्ध की दाता
मक्खन घृत दधि पुष्टि प्रदाता||10||
बल मेधा ज्योति का दायक।
पंचगव्य तन मन का सायक।।।।।।
पंचामृत को लेऊ बनाई।
जीवन स्वस्थ बने सुखदाई ।।12।।
जोइ इनका सेवन नित करहीं। उनको रोग कभी न भयहीं ॥13॥ प्रतिरोधक शक्ति है पाता। सब गौ द्रव्य प्राण के दाता॥14॥ गौ के घृत से यज्ञ जो करहीं ।
वायुमण्डल प्रदूषण हरहीं ॥15॥
यज्ञ धूम्र जहाँ जहाँ तक जावे। श्वांस लेत सब रोग नसावे॥16॥ गोबर से जो लीपे भूमि
दूर विकीरण नष्ट हो कृमि ॥17॥ पंच द्रव्य हैं मन अनुरागे।
गाय मूत्र से कैंसर भागे।॥18॥
आभा मण्डल गौ का ज्यादा। आसपास पहुँचावे फायदा।।19।। गंगा का उद्गम गौ है।
मुख
कर स्नान पात वहु सुख है।।20।। गौ के खुर सम चोटी राखो ।
गौ की महिमा जग में भाखो |॥21॥
पूँछ पकड़ वैतरिणी पारा।
अनुगामी को मिलत सहारा ।। 22 ।।
गोबर से गैस प्लान्ट बनाओ।
घर घर बिजली को पहुँचाओ ।।23।। गोबर खाद को वापरो भाई।
जैविक खेती सदा सुखदाई ।।24।। खेती में आयें यदि रोग। गोमूत्र छिड़कों करो सहयोग।12511
नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश।
शुष्क खाद में इनका वास।।26।।
गोबर धन जो मानहिं भाई ।
दीवाली पर पूजहिं ताई ॥27॥ गौरा गणपति लेऊ बनाई।
पूजन करें और तिलक लगाई।।28।। प्रातः काल जब भोजन बनता।
गौमाता हित ग्रास निकलता।॥29॥
पाँच ग्रास गुड़ घी में मिलाओ। बलि वैश्व को प्रथम चढ़ाओ || 3011
गायत्री मंत्र से आहुति दीजे । अवघ्राण गौघृत से कीजे ॥31॥ गोरोचन जो सेवहिं कोई ।
ग्रहबाधा उन्माद न होई ।। 32 ||
गऊएँ साँझ लोटि घर आवें।
गोधूलि शुभ मुहूर्त कहावें ॥33॥
कृषकों के घर में हो गायें। चारागाह निज खेत बनायें ॥34॥
शहरों में गौशाला खोलो। बनो प्रचारक गौहित बोलो ॥35॥
पैसे का होगा उपयोग। गौशाला से मिटेंगे रोग ।।36
गाँव-गाँव में होवें गाय । खुशियाँ लोटें फिर से आय।। 37 ॥
ऋषि मुनियों ने गौ को पाला। सेवा का है धर्म निराला ॥38॥
महामानव कर रहे पुकारा। गौ रक्षा से जग उद्धारा ।। 39॥
गौ पाली गोपाल कहाए। श्री कृष्ण सबके मन भाए ||40॥
दोहा
गौ गंगा और गायत्री, गीता गुरु आधार । जो भी इनको पूजता, बेड़ा करते पार ।। गऊओं के प्रति प्रेम, रख चालीसा कर पाठ। गौमाता आशीष से, होंगे तेरे ठाठ ।।