दुर्गा स्तुति के सुन्दर भाव
ऋषि मारकन्डे के मन्त्र निराले । देवी भगवत में ऋषि ने जो डाले।
किया उसका टीका सरल भाषा में है। ‘चमन’ का तो सर्वस्य इसी आशा में है।
जो मातेश्वरी भगवती कष्ट हर ले ।जो श्रद्धा से इस पुस्तक का पाठ कर ले।
मनों कामना पाठी जो मन में धारें। महां माया सब कार्य उस के संवारे ।
सभी मुश्किलें उस की आसान कर दे।दया दृष्टि से उस को धनवान कर दे।
उसे हर जगह मैय्या देवे सहारा। पढ़े दुर्गा स्तुति जो सेवक प्यारा ।
सदा उसकी जीभा पे हो वास तेरा।जिसे हर समय ही है विश्वास तेरा।
‘चमन’ की यह अर्ज मां मन्जूर करना । किसी को भी चरणों से न दूर करना ।
दोहा:- गृहस्थ आश्रम परिवार में सुख भोगे हर आन । उठते बैठते जो चमन’ करे मां का गुणगान ।
सभी कामना पूरी हो रहे न कोई चाह। मन की मस्ती में ‘चमन’ फिरे वो बे परवाह।
श्री नव दुर्गा स्तोत्र – माँ शैलपुत्री
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
- श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
- पहला अध्याय
- दूसरा अध्याय
- तीसरा अध्याय
- चौथा अध्याय
- पांचवा अध्याय
- छटा अध्याय
- सातवां अध्याय
- आठवां अध्याय
- नवम अध्याय
- दसवां अध्याय
- ग्यारहवां अध्याय
- बारहवां अध्याय
- तेरहवाँ अध्याय