चमन की श्री दुर्गा स्तुति

सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ चमन की श्री दुर्गा स्तुति

श्री दुर्गा स्तुति – यह पूरे दो महीने की तपस्या तथा भगवत नाम कीर्तन, दुर्गा यज्ञ, गायत्री मन्त्र के निरन्तर जप और दुर्गा मन्दिरों की दिव्य मूर्तियों के दर्शन, महात्माओं के आर्शीवाद तथा साक्षात देव-कन्याओं की कृपा और मां की प्रेरणा से लिखी गई है।

इसके पाठ का कोई भी शब्द घटाया या बढ़ाया न जाये, इसके हर शब्द ‘चमन’ नाम इत्यादि का भाव एक दूसरे पर निर्भर है। कोई भी अक्षर बदलकर पढ़ने से भयानक हानि हो सकती है।। इसका पाठ करने से हर प्रकार की कामना पूर्ण होती है।

शुद्ध वस्त्र, शुद्ध अवस्था, शुद्ध भावना, शुद्ध मन से पाठ करें।

पूरे पाठ के लिए सभी स्तोत्र पढ़े।

श्री दुर्गा स्तुति

इस दुर्गा स्तुति के पाठ में वो शक्ति है, अगर श्रद्धा और विश्वास से इसका पाठ कीया जाये तो महामाया जगदम्बा हर मनोकामना पूर्ण करती है।

और कम से कम ग्याहरां (11) दुर्गा स्तुति की किताबों को मन्दिर अथवा लोगों में बांटने से पुण्य प्राप्त होता है। क्योंकि धारणा है कि पढ़ने वाले का पुण्य किताब बांटने वाले को भी मिलता है।

श्री दुर्गा स्तुति के कौन से अध्याय का पाठ किस लिए करें।

निष्काम भाव से रोजाना पढ़ने वाले यह पाठ करें, दुर्गा कवच, मंगला • स्तोत्र, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र, काली, चण्डी, लक्ष्मी, संतोषी मां रुक्षेत्र नम्र प्रार्थना, नवदुर्गा स्तोत्र तथा आरती।

हर प्रकार की चिन्ता हटाने के लिए प्रथम अध्याय। हर प्रकार के झगड़े जीतने के लिए दूसरा अध्याय। शत्रु से छुटकारा पाने के लिए तीसरा, भक्ति-शक्ति या भगवती से के दर्शन पाने के लिए चौथा व पांचवा अध्याय |

डर वहम प्रेत छाया आदि हटाने के लिए छटा अध्याय हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय । मिलाप वशीकरण के लिए आठवां गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना पुत्रादि प्राप्त करने के लिए नवम् तथा दसवां अध्याय।

व्यापार, सुख सम्पति के लिए ग्यारहवां। भक्ति प्राप्त करने के लिए बाहरवां अध्याय। मान तथा लाभ के लिए तेहरवां अध्याय | सफर जाने से पहले दुर्गा कवच श्रद्धा और शुद्ध भावना से पढे।

धन दौलत कारोबार के लिए चण्डी स्तोत्र कलह कलेश चिन्ता से बचने के लिए महाकाली लक्ष्मी नव दुर्गा स्तोत्र पढ़िए यदि सारा पाठ न कर सके तो दुर्गा अष्टनाम और नव दुर्गा स्तोत्र पढ़ें।

पाठ के समय गंगा जल या कुएं का जल साथ रखें शुद्ध आसन बिछा कर बैठे, घी की जोत या सुगन्धित धूप जलाएं, पाठ के बाद चरणामृत पी लें और अपने मस्तक आंखे और अंगो को स्पर्श करें। मंगलवार को कन्या पूजन करें कन्या सात वर्ष की आयु से कम होनी चाहिए।

श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ

चमन की श्री दुर्गा स्तुति

श्री दुर्गा स्तुति अध्याय

महा चण्डी स्तोत्र
महा काली स्तोत्र
नमन प्रार्थना
माँ जगदम्बे जी आरती
महा लक्ष्मी स्तोत्र
श्री संतोषी माँ स्तोत्र
श्री भगवती नाम माला
श्री चमन दुर्गा स्तुति के सुन्दर भाव
श्री नव दुर्गा स्तोत्र – माँ शैलपुत्री
दूसरी ब्रह्मचारिणी मन भावे – माँ ब्रह्मचारिणी
तीसरी ‘चन्द्र घंटा शुभ नाम –  माँ चंद्रघण्टा
चतुर्थ ‘कूषमांडा सुखधाम’ – माँ कूष्मांडा
पांचवी देवी असकन्ध माता – माँ स्कंदमाता 
छटी कात्यायनी विख्याता – माँ कात्यायनी
सातवीं कालरात्रि महामाया – माँ कालरात्रि
आठवीं महागौरी जगजाया – माँ महागौरी
नौवीं सिद्धि धात्री जगजाने – माँ सिद्धिदात्री
अन्नपूर्णा भगवती स्तोत्र

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