
दुनिया क्या अपनी हस्ती
को ही मिटा बैठे है
जिस पल हम राधा रानी
से दिल को लगा बैठे है
दुनिया क्या अपनी हस्ती
को ही मिटा बैठे है
जिस पल हम अपने मोहन से
दिल को लगा बैठे है
हम खोये रहे इनमें है
जबसे प्रीत लगी है मोरी
एक तरफ है सांवले से कान्हा
दूजी राधिका गौरी
जैसे एक दुसरे से मिलकर
हो गए चाँद चकोरी
कान्हा मुरली कि तान सुनावे
तो सुर राधे बन जाये
और श्याम उसी को मिलते है
जो राधे राधे गाये
गुलाल लगावे राधा के
कान्हा खेले जब होली
एक तरफ है सांवले से कान्हा
दूजी राधिका गौरी
जैसे एक दुसरे से मिलकर
हो गए चाँद चकोरी
एक तरफ है सांवले से कान्हा
दूजी राधिका गौरी..
भटका है मन माया में
अब हरि से ध्यान लगाना
करूणाकर केशव को भज कर
ये जीवन शुद्ध बनाना
भटका जो मन माया में
हरि से ध्यान लगाना
करूणाकर केशव को
भज कर ये जीवन शुद्ध बनाना
उस मोहन मुरली वाले ने
दिल कि कड़ी है जोड़ी
एक तरफ है सांवले से कान्हा
दूजी राधिका गौरी
जैसे एक दुसरे से मिलकर
हो गए चाँद चकोरी
एक तरफ है सांवले से
कान्हा दूजी राधिका गौरी..
Song: SANWLE SE KANHA
Singer: Nikhil Verma
Lyrics & Composition : Nikhil Verma
Music: Nikhil Verma & Kshl Music