सूर्य ग्रह
सूर्य ग्रह का दिन रविवार है। सूर्य दसवें, सातवें व छठे घर में अशुभ फल देता है परन्तु ग्यारहवें, बाहरवें, नौवें, आठवें और पांचवें घरों में शुभ फल देता है। नवग्रहों में सूर्यदेव को राजपद प्राप्त है। सूर्य को पापीग्रह माना गया है।
यद्यपि पृथ्वी पर इसके प्रभाव से ही अनाज, धातु तथा पेट्रोलियम पदार्थों की उत्पत्ति हुई है। सूर्य रश्मियों से ऐसे अलौकिक तत्वों का सृजन होता है, जो जीवनदायी होते हैं।
जातक पर प्रभाव : जन्मकुण्डली में सूर्य अशुभ होने पर जातक दुःख एवं दरिद्रपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। इसके अतिरिक्त जातक को शारीरिक कष्ट व पशु धन की हानि होती है।
व्रत का नियम
रविवार के दिन स्नान करके पवित्र स्थान को लीप कर भगवान श्री सूर्यदेव की पूजा करें। लीपे हुए स्थान पर बारह दलों का कमल चित्रित करें और वैसा ही एक कमल तांबे के पतरे पर चंदन से बनाएं।
तांबे के कमल को भूमि पर निर्मितल से ऊपर रखकर सूर्यदेव की पूजा करें व व्रत का संकल्प लें। व्रती एक ही समय भोजन करें। भोजन तथा फलाहार सूर्यास्त से पहले ही कर लें।
व्रत की समाप्ति के पूर्व रविवार की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। सूर्य अस्त हो चुका हो तो दूसरे दिन सूर्य भगवान को जल देकर अन्न ग्रहण करें।
यन्त्र एवं मन्त्र ॐ
इस यंत्र को सम्मुख रखकर यथाविधि श्रद्धापूर्वक पूजन करने से विघ्न-बाधाएं दूर होकर सुखी जीवन का रास्ता खुल जाता है। इस यंत्र की साधना से आध्यात्मिक व भौतिक दोनों
सुख प्राप्त होते हैं तथा सूर्य ग्रह से नेष्ट फल दूर होते हैं।
मंत्र: ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः श्रीं
प्रतिदिन प्रातःकाल पूजा के समय भगवान सूर्य के मंत्र का ग्यारह माला जप करने वाला व्यक्ति कभी अस्वस्थ नहीं होता, बल्कि वह अपने पूर्वजन्म के पापों से भी मुक्ति पा लेता है तथा दरिद्रता एवं भय का विनाश हो जाता है।
दान व स्नान ॐ
माणिक्य, गेहूं, गुड़, तांबा, केसर, खस, सुवर्ण, घृत, मैनसिल, लाल अथवा कुसुम्बी रंग का वस्त्र, लाल रंग की गाय-बछड़ा सहित, लाल रंग का द्रव्य, लाल चंदन, साठी चावल, कमल के फूल, सुवर्ण पत्र पर अंकित सूर्य की मूर्ति या यंत्र, मूंगा तथा दक्षिणा- इन सभी वस्तुओं का दान करने से सूर्यकृत पीड़ा दूर होती है।
इसी प्रकार इलायची, केसर, खस, मैनसिल, मुलहठी तथा लाल रंग के पुष्प मिश्रित जल से स्नान करने पर भी सूर्य का दुष्प्रभाव नष्ट होता है।
स्वामी पूजन
सूर्य ग्रह के स्वामी श्री विष्णु हैं। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें। १२(12) लाख जाप से सिद्धि होती है। दशांश का होम करें घी सने तिलों से १२ (12) हज़ार आहुतियों द्वारा। घृतसिक्त खीर और दूध सिक्त क्षीर-वृक्षों की समिधाओं से १२(12) हज़ार आहुतियां करने पर पापों से मुक्ति होती है तथा सूर्य की प्रतिकूल दृष्टि अनुकूल होती है।
रत्न धारण
माणिक्य सूर्य का रत्न है। जन्म के समय सूर्य अनिष्टकारी हो तो माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
धारण विधि
३ रत्ती का माणिक्य अपने जन्म मास की १, ९, १० या २८वीं तारीख को अथवा रविवार को प्रातःकाल ग्रीवा, भुजा या उंगली में धारण करें। धारण करने से पूर्व अंगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिए। फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चंदन और धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए। ‘ॐ घृणिः सूर्याय नमः’ – इस मंत्र का पांच हज़ार जप करना चाहिए। माणिक्य की अंगूठी दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में पहनी जाती है। ध्यान रखें कि माणिक्य के साथ हीरा,
नीलम, गोमेद एवं लहसुनिया कभी धारण नहीं करना चाहिए।
टोटके व उपाय
- सूर्य की नित्य पूजा करें।
- भगवान विष्णु की उपासना करें।
- गुड़ का दान करें।
- कोई भी काम शुरू करने से पहले मीठा खाकर पानी पीएं। गुड़ खाकर पानी पीकर भी कार्य शुरू किया जा सकता है।
- रविवार को व्रत रखें। तांबा एवं गेहूं का दान करें। इसके अतिरिक्त बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करें।
- गले में तांबे का पैसा पहनें।
- लाल कपड़े में गेहूं, गुड़, सोना इत्यादि बांधकर दान करें।