श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
वरमांगू वरदायनी निर्मल बुद्धि दो।
मंगला स्तोत्र पढू सिद्ध कामना हो।
ऋषियों के यह वाक्य हैं सच्चे सहित प्रमाण ,
श्रद्धा भाव से जो पढ़े सुने हो जाये कल्याण।
जय मां मंगला भद्रकाली महारानी,जयन्ती महा चण्डी दुर्गा भवानी।
मधु कैटभ तुम ने थे संहार दीने, मैय्या चण्ड और मुण्ड भी मार दीने।
दया करके मेरे भी संकट मिटाना,मझे रुप जय तेज और यश दिलाना
जभी रक्तबीज ने प्रलय मचाई। डरे देव देने लगे तब दुहाई।
तो माँ मंगला चण्डी बन कर तू आई।पिया खून उसका अलख ही मिटाई।
तू ही शत्रुओं का मिटाती निशा हो। पुकारें जहां पहुंच जाती वहां हो।
दया करके मेरी भी आशा पुजाना।मुझे रुप जय तेज और यश दिलाना।
सभी रोग चिन्ता मिटाती हो अम्बे। सभी मुश्किलों को हटाती हो अम्बे।
तू ही दासों का दाती कल्याण करती। तू ही लक्ष्मी बन के भण्डार भरती।
शिवा और इन्द्राणी परमेश्वरी तू । ‘चमन’ अपने दासों की मातेश्वरी तू।
जगत जननी मेरी भी बिगड़ी बनाना। मुझे रुप जय तेज और यश दिलाना।
जो भक्ति व श्रद्धा से गुण तेरे गाये।जो विश्वास से अम्बे तुझ को ध्याये।
पढे दर्गा स्तुति तेरी महिमा जाने। सुने पाठ मैय्या तेरी शक्ति माने।
उसे पुत्र पौत्र आदि धन धाम देना।गृहस्थी के घर में सुख आराम देना।
चढ़ी सिंह पर अपना दर्शन दिखाना। मुझे रुप जय तेज और यश दिलाना।
यह स्तोत्र पढ़ कर जो सिर को झुकाए। सुने पाठ अम्बे तेरा नाम गाए।
उसे मैय्या चरणों में अपने लगाना। अवश्य उसकी आशाएं सारी पुजाना।
‘चमन’ को तो पूरा है विश्वास दाती। है रग रग में मेरी तेरा वास दाती।
तभी तो कहूं शक्ति अमृत पिलाना। मुझे रुप जय तेज और यश दिलाना।
नोट :- हर मंगलवार को प्रातः श्री दुर्गा स्तुति का पाठ करे सभी नवरात्रों में इस पाठ का विशेष महत्व है।
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
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- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
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