महा लक्ष्मी स्तोत्र – कभी नहीं होगी धन की कमी इसको पढ़ने से।
महा लक्ष्मी स्तोत्र
कीर्तन: जय नारायण प्राण आधार ।जय महां लक्ष्मी भरे भण्डार।
श्री हरिं प्रभु की प्रेरणा शारदा जीभा आई। जग के तारन करने सुन्दर भाव है लाई।
गुरुदेव प्रताप से लेखनी में किया वास। लक्ष्मी स्तोत्र ‘चमन’ लिखने लगा है दास।
प्रातः सन्धया समय जो पढ़े मान विश्वास। उसके घर में लक्ष्मी सदा ही करे निवास।
जय जय महा लक्ष्मी पूर्ण कीजो काम।देवी तेरे चरणों में लाख लाख प्रणाम ।
सभी लोकों की जननी मातेश्वरी । कमल सम है नेत्र मां भुवनेश्वरी ।
श्री विष्णु के वक्षस्थल में बिराजे।कमल दल से नेत्र कमल कर में साजे ।
कमल मुख कमल नाभि प्रिय नाम तेरा।सदा तेरे चरणों में प्रणाम मेरा।
तू सिद्धि सुधा मेघा श्रद्धा कहावे । तू स्वाहा त्रयलोकी पवित्र बनावे ।
प्रभा रात्रि सन्धया है सब रूप तेरे।विभूति सुखोंकी भण्डारे में तेरे।
उपासना कर्म काण्ड और इन्द्र जाला।शिल्प तर्क विद्या है तू ही कृपाला।
तू ही सरस्वती हृदय में ज्ञान धरती।महालक्ष्मी धन से भण्डार भरती ।
सभी पाते हैं सुख गुण तेरे गा कर।करु वन्दना में भी सिर को झुका कर ।
दोहाः व्यापक है संसार में घट घट तेरा वास । श्री विष्णु भगवान के रहो सदा ही पास।
तुमने ही त्रयलोक को जीवन दान दिया है। महा लक्ष्मी तुम ने सब का कल्याण किया है।
गृह धन धान्य सम्बन्धी सारे पुत्र और नारी।तेरी दया से जतलाते हैं रिश्तेदारी।
शत्रु पक्ष तेरी कृपा से मिट जाते है। जीव सभी लोकों के सुखों को पाते है।
कोई रोग शरीर को आकर नहीं दबाता।तेरा नाम दरिद्री को धनवान बनाता।
मात लक्ष्मी भरो सदा मेरे भण्डारे । घर में भोग सामग्री हो सुख भोगू सारे ।
पत्नी पति व पुत्र सभी खुशहाल बना दो।कर्म गति से आने वाले कष्ट मिटा दो।
वस्त्र आभूषण किसी चीज की कमी रहे न। किसी प्रकार की चिन्ता मन में लगी रहे ना ।
शुद्धि शील सच्चाई सब गुण भर देती हो। ‘चमन’ कृपा तुम अपनी जिस पर कर देती हो।
दया से तेरी बिगड़े काम सुधर जाते है। कृपा से तेरी ‘चमन’ भण्डारे भर जाते है।
देवी जिस पर तेरी दृष्टि पड़ जाती है। निश्चय ही उसकी सम्पत्ति बढ़ जाती है।
दोहा:– मानयोग गुणी धन्य वही है बुद्धिमान”जिसने यह स्तोत्र पढ़ किया तुम्हारा ध्यान।
विष्णु प्रिया जग जननी मां करुं तुम्हारा ध्यान।’चमन’ का अब स्वीकारियो लाख लाख प्रणाम।
कमल नैन महा लक्ष्मी दास पे रहो प्रसन्न।तेरी दया से बन सके जीवन मेरा धन्य ।
महा लक्ष्मी स्तोत्र को पढ़े जो करके नेम ।श्रद्धा और विश्वास हो मन में सच्चा प्रेम।
मान रहित होकर पढ़े स्तोत्र यह शतवार।. महा लक्ष्मी उसके ‘चमन’ भर देगी भण्डार ।
महा लक्ष्मी की मूर्ति चौकी पर सजाए। धूप सुगन्धित लेकर घी की जोत जलाए।
गंगा जल के साथ फिर तिलक व पुष्प चढ़ाए।मौन धारकर पढ़े या स्तोत्र गाए।
शुद्ध भाव से सुन्दर मौली की तार पहनाये । भोग लगा कर मेवे का फिर स्तोत्र गाये।
रैन दिवस शतवार ही पाठ पढ़े निराहार । दान पुण्य करता रहे ‘चमन’ जो वित अनुसार।
लोहे को सोना करे बर्कत भरे अपार । पच्चीस पाठ पच्चीस दिन पढ़े बिना अन्न खाये।
महा लक्ष्मी उसके सभी बिगड़े भाग बनाये। एक पाठ नित्य पढ़े उठ कर प्रातः काल ।
बर्कत हाथ में आएगी जेब से हो माला माल।उसके घर से लक्ष्मी कभी न आये बाहर।
भोजन दे किसी विप्र को सात मास संक्रान्त | दक्षिणा दे प्रसन्न कर रखे निज मन शांत।
चोगा चिड़ी कबूतर को डाले हर बुधवार । सिमरे नाम नारायण का श्रद्धा प्रेम को धार।
पाठ पश्चात गंगा जल को छिड़के कर ध्यान ।ऊ श्री श्री आये नमः जपे मन्त्र करे कल्याण |
इसी मन्त्र की नित्य ही ग्यारह माला कर ले। निन्दया स्तुति त्याग समय कुछ मौन भी घर लें।
मनो कामना महा लक्ष्मी करेगी पूरी। कोई आशा फिर ना उसकी रहे अधूरी।
दोहाः महा लक्ष्मी स्तोत्र यह लिखवाया हरि आप |सूत जी ने ऋषियों को यह समझाया।
यही ऋषि पराशर ने मित्रों को बतलाया। यही विष्णु पुराण में वेद व्यास जी गाया।
नारायण ने मन्त्र यही भक्ति का सिखाया। श्रद्धा प्रेम से ‘चमन’ जो करेगा इसका जाप |
उस गृहस्थ के घर सदा करे लक्ष्मी वास, पढ़े जो स्तोत्र यह निसदिन कर विश्वास।
कर्मों के अनुसार ही माना सब फल पाए। फिर भी तकदीरें बदल हरि कृपा से जाए।
स्वास मिले अनमोल हैं हरि सुमिरन में लगाओ। करो पाठ निश्चय ‘चमन’ मुंह मांगा फल पाओ।
चिन्ता न कर कोई भी रखवाला भगवान। महां लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ कर कुछ हाथ से दान।
मन्त्र: श्री महां लक्ष्मी आये नमः
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