माँ कालरात्रि
माँ कालरात्रि
कालरात्रि जै जै महाकाली । काल के मुंह से बचाने वाली।
दुष्ट संधारण नाम तुम्हारा ।महां चण्डी तेरा अवतारा।
पृथ्वी और आकाश पे सारा । महाकाली है तेरा पसारा ।
खंडा खप्पर रखने वाली।दुष्टों का लहू चखने वाली।तुम्हारा ।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखु तेरा नज़ारा।
सभी देवता सब नर नारी । गावें स्तुति स्भी तुम्हारी ।
रक्तदन्ता और अन्न पूरणा ।कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ।
न कोई चिन्ता रहे बिमारी। न कोई गम न संकट भारी ।
उस पर कभी कष्ट न आवे । महाकाली मां जिसे बचावे ।
तू भी ‘चमन’ प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय।
आठवीं महागौरी जगजाया – माँ महागौरी
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
- श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
- पहला अध्याय
- दूसरा अध्याय
- तीसरा अध्याय
- चौथा अध्याय
- पांचवा अध्याय
- छटा अध्याय
- सातवां अध्याय
- आठवां अध्याय
- नवम अध्याय
- दसवां अध्याय
- ग्यारहवां अध्याय
- बारहवां अध्याय
- तेरहवाँ अध्याय