माँ कात्यायनी
जै जै अम्बे जै कात्यायनी । जै जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा ।वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मन्दिर में जोत तुम्हारी।कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।ग्रन्थी काटे मोह माया की ।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम: जपाने वाली।
ब्रहस्पतिवार को पूजा करियो । ध्यान कात्यायनी का धरियो ।
हर संकट को दूर करेगी। भण्डारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे । कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।
सातवीं कालरात्रि महामाया – माँ कालरात्रि
चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- सर्व कामना पूर्ण करने वाला पाठ- चमन की श्री दुर्गा स्तुति
- श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ
- प्रसिद्ध भेंट माता जी की (मैया जगदाता दी)
- सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना
- श्री दुर्गा स्तुति प्रार्थना ( श्री गणेशाय नमः)
- श्री दुर्गा कवच
- श्री मंगला जयन्ती स्तोत्र
- श्री अर्गला स्तोत्र नमस्कार
- कीलक स्तोत्र
- विनम्र प्रार्थना
श्री दुर्गा स्तुति अध्याय
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