दूसरा अध्याय कार्तिक माहात्म्य
दूसरा अध्याय कार्तिक माहात्म्य ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! तुलसी की मंजरी सहित भगवान् शालिग्राम का जो एक बूंद चरणामृत का पान करता है वह ब्रह्महत्यादि बड़े-बड़े पापों से मुक्त होकर वैकुंठ को प्राप्त हो जाता है। जो भगवान् शालिग्राम की मूर्ति के आगे अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसके पितरों को वैकुंठ … Read more