मां जगदम्बे जी की आरती
मां जगदम्बे की आरती आरती जग जननी तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती। किसको जाकर विनय सुनाऊं। आरती…… असुरों ने देवों को सताया। तुमने रुप धरा महा माया । उसी रूप के दर्शन चाहूं। आरती……. रक्तबीज मधु कैटभ मारे। अपने भक्तों के काज संवारे । मैं भी तेरा दास कहाऊं। आरती….. आरती तेरी करूं … Read more