श्री दुर्गा स्तुति सर्व कामना सिद्धि

श्री दुर्गा स्तुति सर्व कामना सिद्धि प्रार्थना नित्य पढिए भगवती भगवान की भक्ति करो परवान तुम। अम्बे कर दो अमर जिस पे हो जाओ मेहरबान तुम। काली काल के पंजे से तुम ही बचाना आन कर। गौरी गोदी में बिठाना अपना बालक जान कर। चिन्तपुरनी चिन्ता मेरी दूर तुम करती रहो।। लक्ष्मी लाखों भण्डारे मेरे … Read more

श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ

श्री दुर्गा स्तुति प्रारम्भ यहा से पाठ प्रारम्भ करें श्री दुर्गा स्तुति पाठ प्रारम्भ – मिट्टी का तन हुआ पवित्र गंगा के अश्नान से। अन्तः करण हो जाए पवित्र जगदम्बे के ध्यान से। सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधके। शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमो स्तुते। शक्ति शक्ति दो मुझे करु तुम्हारा ध्यान। पाठ निर्विघ्न हो … Read more

श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि

श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि ब्रम्ह मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुंह में जाप करें। शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रुमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें। मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें। आसन पर चौकड़ी लगा (बैठ कर) हाथ जोड़ … Read more

सरस्वती वन्दना

सरस्वती वन्दना मात शारदे, विद्या वारिधे, करूँ मैं तेरा आवाहन , कुन्द इन्दू सम मुखारविन्द है, कंठ सुशोभित हार धवल। शुभ्र वस्त्र आभूषित तन है, आसन तेरा श्वेत कमल , धिय जड़ता माँ हरो सरस्वती कर वीणावर दण्ड विमल।द्विव्य ज्योति सम द्युतिमान हो, आत्म ज्ञान दो बुद्धि नवल , सिद्धि दात्री, भाग्यविधात्री, करती हो भवभय … Read more

लक्ष्मी,सरस्वती,गंगा का भारतवर्ष में पधारना

लक्ष्मी, सरस्वती तथा गंगा का परस्पर शापवश भारतवर्ष में पधारना लक्ष्मी,सरस्वती,गंगा – भगवती सरस्वती वैकुण्ठ में भगवान श्री हरि के पास रहती हैं। गंगा ने इन्हें शाप दे दिया था।ये भारतवर्ष में अपनी एक कला से पधारी। नदी के रूप में माँ का का अवतरण हुआ। ये पुण्य प्रदान करने वाली, पुण्यरूपा तथा पुण्यतीर्थ स्वरूपिणी … Read more

मातेश्वरी तू धन्य है

(धूमलोचन ,चण्ड मुण्ड, बीज वध वर्णन) धूमलोचन दैत्य अरु, वीर चण्ड अरु मुण्ड। रक्तबीज वध की कथा, थे जो शक्ति कुण्ड।। सभी देवता हिमाचल पर जगत् की जननी श्रीपार्वतीजी के पास पहुंचे मातेश्वरी तू धन्य है – ऋषि बोले-शुंभ निशुंभ नाम के दो दैत्य परम पराक्रमी हुए। जिनके तेज से चराचर त्रिलोकी काँप उठी, दोनों … Read more

सरस्वती देवी का प्रकट होना

शुम्भ निशुम्भ दानव बली तत्सम दौहृद मौर्य। दर्पदलन गौरी भई , अनुपम जिसका शौर्य ।। महामाया का चरित्र सरस्वती देवी का प्रकट होना- राजा ने कहा-हे स्वामिन्! चण्ड मुण्ड, आदि के मर जाने पर शुम्भ, निशुम्भ ने फिर क्या किया। अब आप कृपा करके पाप विनाशिनी महामाया का चरित्र सुनाते जाइये। ऋषि बोले- चण्ड मुण्डादि … Read more

माँ शताक्षी,शाकम्भरी और दुर्गा का अवतार

माँ शताक्षी,शाकम्भरी और दुर्गा  दुर्गम दानव हनन ते, दुर्गा नाम लह्यो । विनय सुनी जग जन्म ले, देवन अभय दयो।। दुर्गम का ब्रम्हा जी से वर पाना देवताओं का महादेवी की शरण में जाना प्रजा के इस संकट को देखकर देवता महादेवी की शरण में पहुँचे और बोले, हे महादुर्गे! जिस प्रकार आपने शुम्भ निशुम्भ … Read more

माँ उमा की उत्पत्ति

देव दर्प के दलन को प्रकटी तेज स्वरूप।  दुष्ट जनन को मृत्यु हैं, भक्तों को माँ रूप।। माँ उमा की उत्पत्ति – सूतजी बोले-हे ऋषिगण! सुनिये एक बार देवता दैत्यों का भयानक युद्ध हुआ। तब इसी मातेश्वरी के प्रताप से देवता विजयी हुए। इस कारण देवताओं को गर्व हुआ, अपनी-अपनी प्रशंसा करने लगे। एक तेज … Read more

माँ काली कैसे प्रकट हुई ? मधु-कैटभ वध की कथा

माँ काली कैसे प्रकट हुई ? मधु-कैटभ वध की कथा उमा चरित सुजान। निल नित करती स्नेह व मानव का कल्याण ।। राजा सुरथ जो कि वीर पुरुष था माँ काली – सूतजी बोले-हे महात्मा पुरुषो! अब में काली चरित्र कहता हूँ तुम लोग धन्य हो जो उमा चरित्र को सुनना चाहते हो । स्वारोचिष … Read more