Namami Shamishan Nirvan Rupam
यह भगवान् शिव का श्री रुद्राष्टकम है इसे पढ़ने या सुनने से भगवन शिव की कृपा बरसती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इस पाठ से जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या भी दूर हो जाती है।

शिवजी जी का स्थान सभी देवताओं से ऊपर माना जाता है। इसीलिए उन्हें जगतदेव और महादेव भी कहते हैं। शिवजी जी बड़े सौम्य भोले और सरल हैं।यह सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देव है। शिवजी तो एक बेल पत्तर चिढ़ाने से ही खुश हो जाते हैं।
श्री रुद्राष्टकम पाठ का महत्व
श्री रुद्राष्टकम पाठ श्री रामचंद्र जी ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और इस पाठ द्वारा शिव स्तुति की थी और रावण पर विजय प्राप्त की थी। यह पाठ किसी भी शत्रु पर या युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।
यद किसी को किसी भी तरह कोई भी समस्या तंग कर रही हो तो श्री श्री रुद्राष्टकम का पाठ 7 दिन लगातार करें निश्चय ही आप अपनी समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकेंगे।
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति ।।
Shri Rudrashtakam or Namami Shamishan Nirvan Rupam in pdf
