अथ कीलक स्तोत्र – दुर्गा सप्तशती
अथ कीलक स्तोत्र श्री मार्कण्डेय ऋषि बोले-मैं उन भगवान सदाशिव को नमस्कार करता हूँ, जिनके तीन दिव्य नेत्र हैं, जिनका शरीर विशुद्ध ज्ञान स्वरूप है, जो मोक्ष प्राप्ति के कारण है अर्द्ध चन्द्रमा जिनके मस्तक पर शोभायमान है । मन्त्रों के शाप एवं उत्कीलन आदि को समझ कर पाठ करने वाला पुरुष मोक्ष पा लेता … Read more