क्यों तू सुता राम भुला के उठ जाग बंदिया
क्यों तू सुता राम भुला के, उठ जाग बंदिया,
उठ जाग बंदिया, उठ जाग बंदिया, खुलन भाग बंदिया
उठ होया ए सवेरा, जाप करन दा ए वेला,
दुनिया चार दिनां दा मेला, नाम जप बंदिया।
क्यों तू सुता राम …..
चादर जिन्दगी की तेरी, तूं तां पापां नाल लबेड़ी,
ला लै ज्ञान वाला साबुन, धो लै दाग बंदिया, नाम जप बंदिया।
क्यों तू सुता राम
भाग होनगे चंगेरे, जाग खुलेगी सवेरे,
ला लै सत्संग विच डेरे, हो जा पार बंदिया
क्यों तू सुता राम…
मन दी नाव तू बनावीं, ऊपर बुद्धि नू बिठावीं,
वागा ज्ञान दीया पा के हो जा पार बंदिया
उठ जाग बंदिया उठ जाग बंदिया
क्यों तू सुता राम ….