ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गई श्याम तुम्हारी नगरी
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गई,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी,
भा गयी भा गयी मुझे भा गयी मेरे श्याम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ||
देख के खाटू नगरी को,
मैं तो दीवानी हो गयी,
ऐसी चढ़ी दीवानगी,
मैं मस्ती में खो गयी,
देख कायल हुई में तो पागल हुई,
इसकी नजरो से देखो मै तो घायल हुई,
पा गयी पा गयी पा गयी तुमको श्याम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ।।
तेरी सूरत देख के खुशियां मन में हो रही,
कैसे मिलेगा साँवरा मन ही मन में रो रही,
ये क्या हुआ मुझको अब ना सता,
बाबा अपने गले से तू मुझको लगा,
ध्या रही ध्या रही ध्या रही तेरा नाम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ||
तेरी नगरी साँवरे सबको प्यारी लगती है,
मैंने सुना है तेरे दर पे किस्मत सबकी बनती है,
श्याम खाली झोली मेरी भरजाओना,
कृपा मुझपे प्रभु अब तो करजाओना,
गा रही गा रही तरे भजनों को मेरे श्याम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ।।
तेरा (रविंदर) साँवरे गुण तेरा ही गायेगा,
मुझको मिला है इस दर से सबको यही बताएगा,
कृपा मुझपे करो कष्ट मेरे हरो,
सिर पे मेरे प्रभु हाथ अपना धरो,
गा रही गा रही तेरी मस्ती में मेर श्याम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ||
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गई,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी,
भा गयी भा गयी मुझे भा गयी मेरे श्याम,
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी ||