तुम्हारे साथ हैं श्री राम तो तुम्हे किस बात की चिन्ता
तुम्हारे साथ हैं श्री राम तो, तुम्हे किस बात की चिन्ता,
किया करते हो क्यों यूं ही सदा दिन-रात की चिन्ता,
उसी के हाथ में जीना, उसी के हाथ में मरना,
उसी के हाथ में सब खुशियाँ, उसी के हाथ भरना,
अरे तुम को पड़ी है क्या, प्रभु के हाथ की चिन्ता,
तुम्हारे साथ….
घड़ी हो संकटों को तो, करो हरि नाम का सिमरन
सता रही हो यदि विपदा तो, करो हरिनाम जप चिंतन,
मिला है साथ उसका तो, भला किस साथ की चिन्ता,
तुम्हारे साथ…..
उसी का नाम लेकर तरों तुम बीच सागर के.
उसी का आसरा लेकर उड़ो तुम पर्वत के ऊपर से,
करेगा आप अपने भक्त के औकात की चिन्ता।
तुम्हारे साथ…..
उसी के नाम धुन ध्यान से जगती हैं तकदीरें,
उसी के नाम गुणगान से सजती है तस्वीरें,
नहीं निर्दोष फिर त्रिताप के उत्पात की चिन्ता,
क्यों करते हो यूँ ही सदा दिन रात की चिन्ता।
तुम्हारे साथ…..