महारास में जाऊंगा, मैं भी प्यारी,
यूँ बाले त्रिपुरारी, बात सुन ले म्हारी,
नहीं ले जाऊँगी, मैं पकडी जाऊँगी,
महारास में जाऊंगा, मैं भेष छिपाऊँगा,
पर मैं जाऊँगा ।।
गोरा प्यारी पहनादे मुझे साडी,
मेरे माथे पे बिंदिया लगादे,
सजादे मुझे गोरा प्यारी, जरा जुट का बना दूँ जुड़ा,
छोड दे चिंता सारी, ओं रे प्यारी, ओं रे प्यारी ।।
कैसे मानू बात तुम्हारी, तुम हो बड़े अनाडी,
ओ भोले भंडारी, अगर कही में पकड़ी गई तो,
हंसी उड़ेगी म्हारी, ओं भंडारी ओं भंडारी ।।
एक लहरी दार चुनर, माथे पर डाल के,
भोले बन जाओ भोली,घूंघट निकाल के ।।
तुम जो चलोगे कहां छिपेगा,
यह चंदा का उजाला, यह चंदा का उजाला,
एक कर में है डमरु डोले, दुजे में डोले त्रिशूल डाला,
इन सबको रखूंगा मैं, झोले में डाल के,
भोले बन जाओ भोली, घूंघट निकाल के।।
तुम जो चलोगे कहां छिपेगा
ये गंगा का पानी,ये गंगा का पानी,
मरदानी आवाज को भोले,
कैसे करो जनानी, भोले कैसे करो जनानी,
पकड़े ना जाओ भोले, मर्दानी चाल से,
भोले बन जाओ भोली, घूंघट निकाल के ।।
देख के भोले बाबा को तब,
बोले हैं कन्हाई,
बोले हैं कन्हाई,
सब आई है बिन घुंघट में,
यह घुंघट में क्यों आई,
घुंघट में कौन आई,
तब जाकर कान्हा ने,
पकड़ी है कलाई,
पकड़ी है कलाई,
पाले पड़ी है गोरी,
आज नंदलाल के,
भोले से बन गए भोली,
घुंघटा निकाल के,
भोले से बन गए भोली,
घूंघट निकाल के ।।