मैं क्या जानूँ मेरे रघुराई तू जाने मेरी किसमें भलाई
मैं क्या जानू मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किस में भलाई,
सहारा तेरा रे ओ साई ।।
सारे जगत को देने वाले,
मैं क्या तुझको भेंट चढ़ाऊँ,
जिसकी सांस से आये खुशबू,
मैं क्या उसको फूल चढ़ाऊँ,
अपरम्पार है तेरी लीला,
कोई न जाने पार,
सहारा तेरा रे ओ साई ।।
तू हो पारस जिस को छूकर,
लोहा भी सोना हो जाए,
तेरी शरण में जो आए,
वो पापी पावन हो जाए,
बीच भवर में नैया मेरी, अब तो लगाओ पार,
सहारा तेरा रे ओ साई ।।
तेरे दर पर आकर प्रभुजी,
भटके मन को चैन मिले,
दरश अगर तेरा ना हो तो,
मन मेरा बैचेन रहे,
दरश दिखा के प्रभुजी मुझ पर,
करदो यह उपकार,
सहारा तेरा रे ओ साई ।।
दरश अगर तेरा ना हो तो,
मन मेरा बैचेन रहे,
दरश दिखा के प्रभुजी मुझे पर,
करदो यह उपकार,
सहारा तेरा रे ओ साई ।।
मैं क्या जानूँ मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किसमें भलाई,
सहारा तेरा रे ओ साई।।