Khatu Shyam History

Khatu Shyam

Khatu Shyam History

बाबा खाटू श्याम जी को श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं बाबा राजा को रंग और रंक को राजा बना सकते हैं।राजस्थान के सीकर जिले में बाबा का भव्य मंदिर है।जहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

बाबा खाटू श्याम जी कौन है ?

बाबा खाटू श्याम जी का असल नाम बर्बरीक था जो घटोत्कच का पुत्र था। भीमसेन जो कुंती का पुत्र था उसका का विवाह हिडिंबा नाम की एक राक्षसी के साथ भी हुआ था। हिडिंबा भीमसेन पर आसक्त हो गई थी और उसने स्वयं आकर माता कुंती से प्रार्थना की थी कि वे उसका भीमसेन के साथ करा दें।माता कुंती ने भीमसेन को हिडिंबा से विवाह की अनुमति दे दी थी।

विवाह के पश्चात् उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम घटोत्कच

घटोत्कच का विवाह मोरवी से हुआ था।

कुछ समय पश्चात् घटोत्कच और मोरवी के पुत्र हुआ जिसका नाम बर्बरीक था।

महाभारत के अनुसार बर्बरीक जी बहुत शक्तिशाली योद्धा थे। शिवजी जी की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और वरदान में तीन बाण प्राप्त किए थे। जब महाभारत की युद्ध का समाचार बर्बरीक को मिला तो उनकी भी इच्छा युद्ध में शामिल होने की हुई।

जब वह महाभारत युद्ध के लिए जाने से पहले अपनी मां से आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उन्होंने मां को हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन दिया इस

कहा जाता है बर्बरीक महाभारत के युद्ध तो अपने तीनों बाणों के साथ समाप्त कर सकते थे। बर्बरीक जी अपने बल पर कोरवों और पांडवों की सारी सेना को समाप्त कर सकते थे। महाभारत के युद्ध के दौरान उन्होंने यह कहा कि वह उस पक्ष की ओर से लड़ेंगे जो हार रहा होगा।

बर्बरीक की यह बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने एक अलौकिक लीला रची और बर्बरीक से कहा मैं तुम्हारी शक्ति को तब मानूं जब तुम इस पीपल के वृक्ष के सारे पत्तों को एक तीर से भेद कर दिखाओगे।

भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए बर्बरीक ने अपने तीर को वृक्ष के पत्तों की ओर छोड़ दिया। जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को खत्म कर रहा था तो पत्ते नीचे गिरने शुरू हो गए। और भगवान श्री कृष्ण ने एक पत्ता अपने पांव के नीचे छिपा लिया। तभी पत्तों को भेदने के बाद तीर भगवान श्री कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया।

तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता है कृपया करके पांव हटा लीजिए। क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को भेदने का आदेश दिया था।आपके पैर को नहीं। यह देख भगवान श्री कृष्ण आश्चर्यचकित रह गए। और बर्बरीक की कमजोर पक्ष के साथ देने की घोषणा से भी चिंतित हो गए।

क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण समझ चुके थे कि बर्बरीक बहुत शक्तिशाली है अगर उसने हारते हुए कौरवों का साथ दिया तो पांडवों की हार होना निश्चित है।

ऐसे में भगवान श्री कृष्ण जी ने एक लीला रचाई। ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक के द्वार पर पहुंचे।उन से भिक्षा मांगने लगे बर्बरीक ने उन्हें देखा और पूछा की मांगो ब्राह्मण तुम्हें क्या चाहिए।बर्बरीक इस बात से अनजान था कि उसके द्वार पर कोई ब्राह्मण नहीं अपितु स्वयं भगवान श्रीकृष्ण है।

इस प्रकार ब्राह्मण रूपी कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि है वत्स जो मैं तुमसे मांगने वाला हूं वह तुम मुझे दे नहीं सकते। तुम मुझे दान देने की समर्थता नहीं रखते।

ऐसे में बर्बरीक ने कहा कि है ब्राह्मण देवता मैं आपको दान में अपना जीवन तक दे सकता हूं।कृपया आप मुझे बताइए कि आपको क्या चाहिए बर्बरीक अब भगवान कृष्ण की रचाई लीला में फस चुके थे।

इस प्रकार कहने पर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका मस्तक ही मांग लिया।

बर्बरीक जो ब्राह्मण को वचन दे चुका था उसने बिना कुछ सोचे ब्राह्मण को अपना शीश काट कर दे दिया। बर्बरीक ऐसा करते ही भगवान श्री कृष्ण अपने असली रूप में आ गए ।

भगवान श्री कृष्ण को देखकर बर्बरीक ने उनको प्रणाम किया और भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।

भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक का मस्तक अपने साथ ले गए जहां महाभारत का युद्ध हो रहा था और सबसे ऊंचे स्थान पर बर्बरीक का मस्तक स्थापित कर दिया। इस प्रकार बर्बरीक ने महाभारत का पूरा महायुद्ध देखा।

बर्बरीक खाटू श्याम कैसे बने

युद्ध में विजई होने के बाद पांडवों में सबसे महान योद्धा का रे मिलने के लिए वाद विवाद होने लगा। पांडव मिलकर भगवान श्री कृष्ण जी के पास गए। और भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों से वाद विवाद का कारण पूछा ।

पांडवों ने श्रीकृष्ण को बताया कि हम सबसे महान योद्धा भग का वाद विवाद चल रहा है- सभी पांडव ऐसा समझते है कि सब उनके कारण महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय हुई है।

श्री कृष्ण जी ने कहां इसका निर्णय बर्बरीक का मस्तक कर सकता है क्योंकि एक वही है जिसने पूरा महाभारत का युद्ध देखा है।

इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण पांडवों को लेकर वहां चल पड़े जहां पर बर्बरीक का मस्तक विराजमान था

वहां पहुंचकर जब बर्बरीक से पूछा गया कि सबसे ताकतवर योद्धा कौन है जिस कारण महाभारत में पांडवों को युद्ध में विजय प्राप्त हुई है।

बर्बरीक ने उन्हें बताया कि युद्ध में उन्हें सिर्फ भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र ही दिखाई दे रहा था।जिससे कटकर योद्धा भूमि में ऐसे गिर रहे हो मानो जैसे पेड़ कट रहा है। वहीं दूसरी तरफ मैंने यह भी देखा कि द्रोपदी महाकाली के रूप में रक्तपान कर रही थी।

बर्बरीक की इन बातों से भगवान श्री कृष्ण बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बर्बरीक के शीश को वरदान दिया कि कलियुग में तुम्हारा जन्म खटुआन नगर में होगा और तुम मेरे श्याम नाम से पूजा जाओगे। तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा तुम्हारी भक्ति से धर्म काम मोक्ष की प्राप्ति होगी इस तरह बर्बरीक को खाटू श्याम नाम से पूजा जाने लगा।

Khatu Shyam Mandir | कैसे बना खाटू श्याम धाम

सीकर जिले में खटवांग नगरी के बाहर एक चरवाहा प्रतिदिन गाय चराने आता था। उसकी सभी गांव में से एक गाय शाम को लौटते समय बाहर कुछ दूरी पर रुक जाती तथा उसके स्तनों से अपने आप ही दूध की धारा प्रवाहित होने लगती थी। दूध की प्रवाहित धारा धरती के अंदर चली जाती थी गाय का मालिक रोज-रोज गाय को दूध ना देता देख परेशान रहने लगा तथा चरवाहे को डांटने लगा।

एक रोज गाय का मालिक चरवाहे के पीछे पीछे जंगल की ओर चल दिया।सायंकाल को जब गाय घर की ओर लौटने लगी तो मालिक यह देखकर दंग रह गया कि उसकी गाय गांव के समीप एक स्थान पर ठहर गई है औऔर उसके स्तनों से दूध की धारा स्वयं धारा निकलकर भूमि में जा रहे हैं।

अचरज होकर वह सोचने लगा कि इस भूमि में कौन है। जिससे उसकी गाय प्रतिदिन दूध पिला रही है।इस बात को जानने की इच्छा से उसने भूमि को खोदना प्रारंभ कर दिया।

खुदाई करते करते उसका सामना एक रहस्यमई चीज से हुआ।जिससे देखकर उसके होश उड़ गए खुदाई करते करते जब वह 30 फीट नीचे पहुंचे तब अचानक उन्हें एक डिब्बा दिखाई दिया।उस डिब्बे के अंदर बर्बरीक जी का का मस्तक पड़ा था।

उस मस्तक को गाय के मालिक ने गांव के एक ब्राह्मण को दे दिया। उस ब्राह्मण ने शीश की निरंतर पूजा करना आरंभ कर दी। धीरे-धीरे उस ब्राह्मण की आस्था बढ़ने लगी । वह श्रद्धा और प्रेम से उस मस्तक की निरंतर पूजा करने लगा ।

एक दिन उसको स्वपन ने भगवान श्री कृष्ण के दर्शन उसी रूप में हुए जिस मस्तक की वह पूजा करता था। भगवान श्री कृष्ण ने उस ब्राह्मण को कहा जो भी मेरी आराधना और सेवा करेगा मैं उसकी हर मनोकामना पूर्ण करूगां।

खाटू श्याम धाम से प्रसिद्ध होऊंगा भक्तों की चिंता दूर करूंगा हारे का सहारा बनूंगा।जो भी भक्त मेरे द्वार पर आएगा वह कभी खाली नहीं लौटेगा उसकी हर मनोकामना को मैं पूर्ण करूंगा।

ब्राह्मण श्री कृष्ण का दर्शन खाटू श्याम के रूप में करके निहाल होकर नतमस्तक हो गया।

स्वपन वाली बात उस ब्राह्मण ने सभी को बताएं धीरे-धीरे सभी उस मस्तक की पूजा करने लगे।जो भी उनकी पूजा करता था उसके साथ कोई ना कोई चमत्कार अवश्य होता था।इसीलिए दिन प्रतिदिन लोगों में उनकी आस्था बढ़ने लगी और सभी उनको खाटू श्याम के नाम से पुकारने लगे।

फिर धीरे-धीरे उस गांव के लोगों ने एक छोटा सा खाटू श्याम जी का मंदिर बनवा दिया

खाटू श्याम मंदिर के पास स्थित एक श्याम कुंड में बाबा श्याम का शीश अवतरित हुआ थाउस जगह पर श्याम कुंड बनवा दिया जहां से खुदाई करते वक्त वह मस्तक निकला था।

वर्तमान समय में अब वहां दो कुंड है एक कुंड महिलाओं के लिए और दूसरा पुरुषों के लिए है।

खाटू श्याम मंदिर कहाँ है ?

राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गॉँव में बाबा का भव्य मंदिर है।जहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आत हैं और खाटू भगवान के दर पर आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।

Khatu Shyam Temple Timing

Summer

morning .
4:30 am – 12:30 pm
Evevning4:00 pm – 10:00 pm
Winter
morning4:30 am – 12:30 pm
Evening4:00 pm – 10:00 pm

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खाटू श्याम की सीढ़ियों का रहस्य

हारे के सहारे नीले घोड़े वाले खाटू श्याम जी के द्वार में देश ही नहीं विदेश से भी भक्तगण आते हैं।इनकी कृपा पाकर अपने कष्टों से छुटकारा पाते हैं। भक्तजन सीढ़ियों से चढ़कर भगवान खाटू श्याम के दर्शन पाते हैं

क्या आपको पता है इन 13 सीढ़ियों का क्या रहस्य है ? यह सीढ़ियां तेरा ही क्यों है आइए जाने

माना जाता है इन 13 सीढ़ियों का का अपना ही महत्व है। हम सभी जीवो के जीवन में अलग-अलग प्रकार के कष्ट होते हैं। जैसे-जैसे हम सीढ़ियां चढ़ते हैं वैसे वैसे हमारे जीवन के कष्ट खत्म होने शुरू हो जाते हैं और हमारे जितने भी पाप है वह भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं ।

ऊपर पहुंचने तक हमें आनंद की अनुभूति होने लगती हैं। कहते हैं जो इन सीढ़ियों पर बाबा श्याम का नाम लेते हुए चढ़ता है उनके सभी कष्ट श्याम खत्म कर देते हैं। उन्हें सुख में जीवन व्यतीत करने का वरदान देते हैं।

Khatu Shyam Ji Ka Chamatkar

कनिका ग्रेटर नोएडा में mnc कंपनी में जॉब करती थी। वह अकेली नोएडा के एक छोटे से फ्लैट में रहती थी ।उसके माता-पिता मथुरा में रहते थे। कनिका के पिता बाबा खाटू श्याम जी को बहुत मानते थे उन्हें जब भी वक्त मिलता था परिवार के साथ खाटू श्याम के दर्शन के लिए जाया करते थे।

कनिका अपने फ्लैट में सुबह और शाम दोनों समय खाटू श्याम जी की पूजा किया करती थी। कनिका अकेली रहती थी इस कारण उसके माता-पिता खाटूश्यामजी से हमेशा यही प्रार्थना किया करते थे की है शाम हमारी बेटी की रक्षा करना।

कनिका को जॉब करते काफी समय हो गया था उसे जब भी छुट्टी मिलती माता-पिता से मिलने के लिए चली जाती थी कुछ समय बाद कनिका के पिता का मन हरिद्वार में जाकर गंगा स्नान करने का हुआ उन्होंने कनिका से जाने के लिए पूछा परंतु कनिका को छुट्टी ना मिलने के कारण उसने मना कर दिया

फिर कनिका के माता-पिता हरिद्वार चले गए।कनिका अपने माता-पिता को अक्सर फोन करके हालचाल पूछती रहती थी। उसके माता-पिता गंगा स्नान के बाद रात को मथुरा की बस में वापस आने के लिए बैठ गए।

कनिका ने सुबह जब अपने पिता को फोन किया तो उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा था कनिका ने सोचा उसके पिता ने उसको फोन भी नहीं किया है अभी तक उसने पड़ोस में रहने वाले अपने अंकल को फोन किया और उसके घर जाकर देखने के लिए कहा

जब उसके पड़ोस वाले अंकल ने घर जाकर देखा तो कनिका को फोन करके बताया कि बेटा आपके मम्मी पापा तो अभी तक आए ही नहीं है घर पर तो ताला लगा हुआ है

यह बात सुनकर कनिका को अपने माता-पिता की चिंता होने लगी। उसने कुछ समय इंतजार किया और वह घर पहुंच गई। दोपहर तक उसके माता-पिता नहीं आए ।शाम को वह अपने अंकल को साथ लेकर पुलिस स्टेशन गई और अपने माता-पिता की फोटो दिखा कर उन्हें सारी बात बताई तब वहां के इंस्पेक्टर ने बताया कि हरिद्वार से आने वाली एक बस का एक्सीडेंट हो गया है। आप रुड़की के हॉस्पिटल जाकर पता कीजिए

यह बात सुनते ही कनिका रोने लगी तब कनिका के अंकल उनको समझाने लगे उन्होंने कहा रात बहुत हो चुकी है सुबह 5:00 बजे रुड़की चलेंगे।

कनिका फिर घर आ गई और बाबा खाटू श्याम जी की मूर्ति के पास जाकर बैठ गई ।उनका ध्यान करने लगे कि मेरे माता-पिता की रक्षा करो बाबा रक्षा करो कृपा करें बाबा कृपा करें ।

इसी तरह वह प्रार्थना करती रही प्रार्थना करते करते वो सो गई और सुबह जल्दी उठ गई। अपने अंकल को साथ लेकर रुड़की चले गए वहां उसने सभी हॉस्पिटल में ढूंढा परंतु उसके माता-पिता का कहीं पता नहीं चला फिर वह लोग उस जगह पहुंचे जहां एक्सीडेंट हुआ था ।

वहां भी कोई नहीं था कनिका का दिल लगा बैठा जा रहा था मैं मन ही मन खाटू श्याम का नाम लेने लगी और प्रार्थना करने लगी।

कनिका पुलिस स्टेशन गई और सभी घायलों और मरने वालों की लिस्ट चेक की।परंतु उसके माता-पिता का कहीं पता नहीं चल रहा था वह हार कर कर वापस आ गई।

4 से 5 दिन हो गए थे कनिका के माता-पिता का कुछ पता नहीं चल पा रहा था वह खाटू श्याम के सामने रोज दिया जला कर बैठी रहती। वह सारा दिन मंदिर के सामने बैठी रहती है। इसी तरह 5 दिन बीत गए।

छठे दिन उसके पिता का फोन आया कि वह मथुरा के बस स्टैंड पर बैठे हैं तुम गाड़ी लेकर वहां आ जाओ। यहां कोई सवारी नहीं मिल रही है कनिका को विश्वास नहीं हुआ फिर उसके पिता ने बताया कि हम दोनों ठीक हैं।

कनिका गाड़ी लेकर वहां पहुंची जहां उसके माता-पिता इंतजार कर रहे थे। कनिका उन्हें घर ले आई। थोड़ी देर बाद उसके माता-पिता ने बताया कि हमें भी चोट लगी थी और हम बेहोश हो गए थे।

जब हमारी आंख खुली तो हम एक फ्लैट में थे।एक भले से व्यक्ति ने हमारी सेवा की ।जब हमें होश आया तो हमें देखा उस फ्लैट में से हमेशा इत्र की खुशबू आती है। जब उसने हमसे पूछा तो उन्होंने बताया कि हम खाटूश्यामजी की पूजा करते हैं और उन्हें इत्र लगाते हैं यह उसी की खुशबू है।

हमने तुम्हें फोन करने की बहुत कोशिश की परंतु हमारा फोन बंद हो गया था

कुछ दिन बीतने के बाद कनिका ने अपने माता पिता से कह कहा मैं उस भले आदमी से मिलकर उनका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने आप को बचाया है और आपकी सेवा की है।

अगले दिन कनिका उसी बिल्डिंग में उस भले आदमी से मिलने पहुंचे।जब वह अंदर जाने लगे तो गार्ड ने उन्हें रोका और पूछा कि आप कहां जा रहे हो? तो कनिका ने बताया कि हम 3 मंजिल पर जो रहते हैं उनसे मिलने जा रहे हैं इस बात को सुनकर गार्ड ने बताया यहां पर 3 साल से कोई नहीं रह रहा है या बिल्डिंग खाली पड़ी है

फिर कनिका ने अपने पिता से पूछा आप गलत जगह तो नहीं ले आए हैं तब उसके माता-पिता ने कहा नहीं बेटी हमें पक्का पता है यही वह लोग रहते हैं। अपने मन का भ्रम मिटाने के लिए कनिका अपने माता-पिता के साथ तीसरी मंजिल पर शक करने के लिए गई परंतु वहां पर कोई नहीं था।

फिर उनका ध्यान एक कपड़े की और गया जहां पर खाटू श्याम की मूर्ति पड़ी थी और इत्र की खुशबू आ रही थी। फिर कनिका ने अपने पिता से कहा कि खाटू भगवान ने आपको जिंदगी दी है और वह स्वयं आप का सहारा बनकर यही रहे हैं। आप का ध्यान रखा है अब उनकी आंखों से आंसू बह निकले और उनका प्रेम खाटू श्याम जी के साथ और गहरा हो गया।

FAQ

घटोत्कच की पत्नी का नाम

घटोत्कच की पत्नी का नाम मोरवी था।

बर्बरीक के पिता का नाम

बर्बरीक के पिता का नाम घटोत्कच था।

बर्बरीक का सीस किसने काटा था ?

श्री कृष्ण ने बर्बरीक का सीस काटा था।

खाटू श्याम का असली नाम

खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक है।

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