कुबेर भण्डारी चालीसा
धन के स्वामी कुबेर कौन है और यह किसका अवतार है?
भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यक्ष और राक्षसों के धन का स्वामी कुबेर में ही हूंँ।
कुबेर जी धन के देवता है आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने के लिए और धन की वृद्धि के लिए कुबेर चालीसा पढ़ने से बहुत लाभ होता है
दीवाली में धन की देवी लक्ष्मी जी के साथ धन के देवता कुबेर जी की भी पूजा की जाती है।
कुबेर चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कुबेर पर आधारित है।
कई लोग भगवान कुबेर को समर्पित त्योहारों पर विशेष रूप से धनत्रयोदशी पर कुबेर चालीसा का पाठ करते हैं।
भगवान कुबेर को देवताओं के कोषाध्यक्ष और यक्ष के राजा के रूप में जाना जाता है।
वह धन, समृद्धि और महिमा का यथार्थ प्रतिनिधित्व करते हैं।
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर। ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर ॥
विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी धन माया के तुम अधिकारी ॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इन्द्र देव केआज्ञाकारी ॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध मेंधनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करें शत्रु को मारैं ॥
सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारेँ॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजै ॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजै ॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावें । यक्ष यक्षणी मिल चंवर दूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनीमाला ॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दूर दूर तक होए उजाला ॥
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे ॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे । अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥
कुबेर गरीब को आप उभारें । कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥
कुबेर भगत के संकट टारैं । कुबेर शत्रु को क्षण में मारेँ ॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापारबढ़ाएं ॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं।अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे । कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे। कुबेर भूले को राह बता दे॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे । भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे। कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे। चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै। जो कुबेर को मन में ध्यावै॥
चुनाव में जीत कुबेर करावें। मंत्री पद पर कुबेरबिठावैं ॥
पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदासवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावै। उसका बेड़ा पार लगावै ॥
उजड़े घर को पुन: बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई।सब सुख भोग पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । मानस परिवार कुबेरकीर्ति गाई ॥
॥ दोहा ॥
कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर । शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर । हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥