श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में लिरिक्स

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में लिरिक्स

नहीं चलाओ बाण व्यंग के ऐ विभीषण,
ताना ना सेह पाऊं, क्यों तोड़ी है यह माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझ में भी है तुझ में भी है, सब में है समझाऊं,
ऐ लंका पति विभीषण ले देख में तुझ को आज
दिखाऊं,

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे मन के नगीने में।

मुझ को कीर्ति न वैभव न यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए ।
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।

अनमोल कोई भी चीज मेरे काम की नहीं
दिखती अगर उसमे छवि सिया राम की नहीं

राम रसिया हूँ में, राम सुमिरन करू,
सिया राम का सदा ही में चिंतन करू ।
सच्चा आंनंद है ऐसे जीने में श्री राम,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।

फाड़ सीना हें सब को यह दिखला दिया,
भक्ति में हैं मस्ती वेधड़क दिखला दिया ।
कोई मस्ती ना सागर मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।

श्री राम जानकी बेठे हैं मेरे सीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे मन के नगिनें में
जय श्री राम

मुझे पल पल हर पल याद प्रभु की आती है लिरिक्स

मेहरा वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोल लिरिक्स

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