सातवीं कालरात्रि महामाया – माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि

कालरात्रि जै जै महाकाली । काल के मुंह से बचाने वाली।

दुष्ट संधारण नाम तुम्हारा ।महां चण्डी तेरा अवतारा।

पृथ्वी और आकाश पे सारा । महाकाली है तेरा पसारा ।

खंडा खप्पर रखने वाली।दुष्टों का लहू चखने वाली।तुम्हारा ।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखु तेरा नज़ारा।

सभी देवता सब नर नारी । गावें स्तुति स्भी तुम्हारी ।

रक्तदन्ता और अन्न पूरणा ।कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ।

न कोई चिन्ता रहे बिमारी। न कोई गम न संकट भारी ।

उस पर कभी कष्ट न आवे । महाकाली मां जिसे बचावे ।

तू भी ‘चमन’ प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय।

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