होलिका दहन

होलिका दहन

2023 में होलिका दहन कब है?

7 मार्च, 2023 मंगलवार

होलिका दहन मुहूर्त

होलिका दहन मुहूर्त :18 :24:31 से 20:51:30 तक
अवधि :2 घंटे 26 मिनट

होली 8, मार्च को

होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम

होली से आठ दिन पहले से होलाष्टक प्रारम्भ होते हैं। होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है।

वर्ण के लोग आपस का भेदभाव मिटा कर बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस दिन सायंकाल के बाद भद्रा रहित लग्न में होलिका दहन किया जाता है। इस अवसर पर लकड़ियों तथा घास-फूस का बड़ा भारी ढेर लगा कर होलिका पूजन करके उसमें आग लगाई जाती है।

प्रतिपदा, चतुर्दशी, भद्रा तथा दिन में होली दहन का विधान नहीं है। पूजन के समय अग्रलिखित मंत्र का उच्चारण करते हैं-

अहकूटा भयत्रस्तैः कृतात्व होली बालिशैः ।

अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम ॥

विधान :

एक माला, गन्ना, पूजा की सामग्री (जल, मोली, रोली, चावल, फूल, गुलाल, गुड़), कच्चे सूत की लड़ी, जल का लोटा, नारियल, बूट (कच्चे चने की डाली), पापड़ आदि से जिस स्थान पर होली जलाई जानी है वहाँ पूजन करें।

होलिका दहन की कथा

इस पर्व का विशेष सम्बन्ध भक्त प्रह्लाद से है। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए अनेक उपाय किए, पर वह उसे मार न सका।

हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकशिपु ने लकड़ियों के ढेर में आग लगवाई और प्रह्लाद को होलिका की गोद में दे कर अग्नि में प्रवेश करने की आज्ञा दी।

होलिका ने अग्नि में प्रवेश किया परन्तु भगवान की कृपा से होलिका जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गया। तभी से भक्त प्रह्लाद की स्मृति में तथा आसुरी प्रवृत्ति के नाश हेतु इस पर्व को मनाते हैं।

होली

आनंद संदेश

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