दूसरा अध्याय – माघ महात्म्य
दूसरा अध्याय – माघ महात्म्य सूत जी बोले- हे मुनिजनों! उस तपस्वी के उन वचनों को सुनकर राजा ने विनीत भाव से कहा- हे विप्र! मैं माघ मास के स्नान के फल को नहीं जानता हूँ। आप कृपा करके मुझसे विस्तारपूर्वक कहें। राजा के इन वचनों को… सूत जी बोले- हे मुनिजनों! उस तपस्वी के … Read more