दूसरा अध्याय – माघ महात्म्य

दूसरा अध्याय – माघ महात्म्य सूत जी बोले- हे मुनिजनों! उस तपस्वी के उन वचनों को सुनकर राजा ने विनीत भाव से कहा- हे विप्र! मैं माघ मास के स्नान के फल को नहीं जानता हूँ। आप कृपा करके मुझसे विस्तारपूर्वक कहें। राजा के इन वचनों को… सूत जी बोले- हे मुनिजनों! उस तपस्वी के … Read more

पहला अध्याय – माघ महात्म्य

पहला अध्याय – माघ महात्म्य पहला अध्याय श्री नैमिषारण्य क्षेत्र में मुनिजनों ने परम भागवत श्री सूतजी से कहा- हे मुने! अब आप कृपा करके माघ मास की उस पवित्र कथा का वर्णन करें जो कि वशिष्ठ भगवान ने दिलीप से कहा था, जिससे प्राणी के समस्त पाप नष्ट होते हैं । हे देव! कृपा … Read more

श्रावण मास आठवाँ अध्याय – shravan maas aathvan adhyay

श्रावण मास आठवाँ अध्याय ईश्वर ने कहा- सनत्कुमार! अब मैं आपसे पाप को नाश करने वाले बुध तथा बृहस्पति व्रत को कहूँगा, जिसे श्रद्धा के साथ करके प्राणी उत्तम सिद्धि प्राप्त करता है। ब्रह्मा ने इन्द्र को ब्राह्मण के राज्यासन पर अभिषिक्त किया। किसी काल में चन्द्रमा ने श्री बृहस्पति की ‘तारा’ नाम वाली पत्नी … Read more

निर्जला एकादशी व्रत का फल वर्ष की सम्पूर्ण एकादशियो के बराबर

निर्जला एकादशी निर्जला एकादशी व्रत कथा भगवान् श्री कृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से बोले कि- हे राजन्! श्री सूतजी ने इस एकादशी की कथा अनेक ने ऋषि-मुनियों को कही थी। एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने अपने पूज्य पितामह व्यासजी से भी निर्जला एकादशी की कथा का वृत्तांत जानने की जिज्ञासा प्रकट की थी । तब … Read more

श्रावण महात्म्य सातवाँ अध्याय – shravan maas satva adhyay

श्रावण महात्म्य सातवाँ अध्याय ईश्वर ने कहा- हे सनत्कुमार! अब उत्तम मंगलवार का व्रत कहूँगा। जिसके करने से वैधव्य का नाश होता है। विवाहोत्तर पांच साल तक इस व्रत को करें। इसका नाम ‘मंगलागौरी व्रत है। यह पाप को नष्ट करने वाला है। विवाह के अनन्तर पहले श्रावण शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार के दिन … Read more

श्रावण महात्म्य छठा अध्याय – shravan maas chata adhyay

श्रावण महात्म्य छठा अध्याय सनत्कुमार ने शंकरजी से कहा- हे ईश्वर! मैंने हर्ष का कारण रविवार महात्म्य को सुना। अब आप श्रावण महीनों के सोमवार व्रत के महात्म्य को कहें। ईश्वर ने सनत्कुमार से कहा- हे सनत्कुमार! रवि मेरी आँख है। उनका श्रेष्ठ महात्म्य है। पार्वती के सहित क्या इस मेरे सोमनाथ का महात्म्य का … Read more

श्रावण महात्म्य पाँचवां अध्याय – shravan maas panchwa adhyay

श्रावण महात्म्य पाँचवां अध्याय ईश्वर ने कहा- सनत्कुमार कोटिलिंग का महात्म्य तथा पुण्य का विधान नहीं कहा जा सकता है। जब एकलिंग महात्म्य की कथा कहना असम्भव है तो कोटिलंगों के महात्म्य को कौन कह सकता है। इस महीने में एक लिंग के बनाने से भी जीव मेरे पास निवास करता है। भक्ति द्वारा मन … Read more

श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय – shravan maas chautha adhyay

श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय ईश्वर ने सनत्कुमार जी से कहा- सनत्कुमार धारण पारण व्रत को मैं कहूँगा, उसे आप सुनो। पूर्व प्रतिपदा तिथि को पुण्यवाहक कराकर मेरे प्रसन्नार्थ धारण-पारण व्रत का संकल्प करें। धारण में उपवास तथा पारण में भोजन विहित है। व्रत करने वाला प्राणी मास की समाप्ति में उद्यापन करे। प्रथम श्रावण मास … Read more

श्रावण मास तीसरा अध्याय – shravan maas teesra adhyay

श्रावण मास तीसरा अध्याय सनत्कुमार जी ने कहा- हे भगवान! आपने व्रत समुदाय का उद्देश्य कहा! हे स्वामिन! इससे तृप्ति नहीं हुई, अतः आप सविस्तार कहें। सुरेश्वर जिसे सुन मैं कृत-कृत्य हो जाऊं। ईश्वर ने सनत्कुमार से कहा- हे योगीश! जो विद्वान श्रावण मास ‘नक्तव्रत’ कर बिताता है। वह बारह महीनों में नक्तव्रत का फल … Read more

श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय – shravan maas dusra adhyay

श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय श्रावण मास महात्म्य दूसरा अध्याय शंकर जी ने सनत्कुमार से कहा- हे महाभाग ! ब्रह्मा पुत्र आप नम्र हैं। जिस कारण आप श्रद्धालु हैं। समस्त गुणों से युक्त श्रोता हैं। श्रावण मास के बारे में आपने जो पूछा वह प्रसन्नता से आप से कहता हूँ। हे तात! मैं आपसे कहूँगा, … Read more