कुबेर का अहंकार

कुबेर का अहंकार यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों … Read more

अहिल्या की कथा

अहिल्या की कथा प्रातःकाल जब राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, “भगवन्! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषिया मुनि दिखाई नहीं देते? … Read more

जब ठगे गए गणेश जी

जब ठगे गए गणेश जी गणेश जी विघ्न विनाशक व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर कोई सच्चे मन से गणोश जी की वंदना करता है, तो गौरी नंदन तुरंत प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैसे भी गणेश जी जिस स्थान पर निवास करतेहैं, उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि तथा सिद्धि भी उनके … Read more

कुंती का त्याग

कुंती का त्याग पाण्डव अपनी मां कुंती के साथ इधर से उधर भ्रमण कर रहे थे। वे ब्राह्मणों का वेश धारण किए हुए थे। भिक्षा मांगकर खाते थे और रात में वृक्ष के नीचे सो जाया करते थे| भाग्य और समय की यह कैसी अद्भुत लीला है। जो पांडव हस्तिनापुर राज्य के भागीदार हैं और … Read more

श्री कृष्ण दौड़े चले आए

श्री कृष्ण श्री कृष्ण दौड़े चले आए अर्जुन ने अपने-आपको श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था| अर्जुन होता हुआ भी, नहीं था, इसलिए कि उसने जो कुछ किया, अर्जुन के रूप में नहीं, श्रीकृष्ण के सेवक के रूप में किया। सेवक की चिंता स्वामी की चिंता बन जातीहै। अर्जुन का युद्ध अपने ही पुत्र बब्रुवाहन … Read more

कुरु का जन्म

कुरु कुरुवंश के प्रथम पुरुष का नाम कुरु था| कुरु बड़े प्रतापी और बड़े तेजस्वी थे| उन्हीं के नाम पर कुरुवंश की शाखाएं निकलीं और विकसित हुईं। एक से एक प्रतापी और तेजस्वी वीर कुरुवंश में पैदा हो चुके हैं। पांडवों और कौरवों ने भी कुरुवंश में ही जन्म धारण किया था। महाभारत का युद्ध … Read more

हनुमान: बालपन, शिक्षा एवँ शाप

हनुमान: बालपन, शिक्षा एवँ शाप हनुमान जी के धर्म पिता वायु थे, इसी कारण उन्हे पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही दिव्य होने के साथ साथ उनके अन्दर असीमित शक्तियों काभण्डार था। बालपन में एक बार सूर्य को पका हुआ फ़ल समझकर उसे वो उसे खाने के लिये उड़ … Read more

शिव और शिवरात्रि

शिव और शिवरात्रि भारत के लोग शिव को मुक्तेश्वर और पापकटेश्वर मानते हैं। उनकी यह मान्यता है कि शिव आशुतोष हैं अर्थात् जल्दी और सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले तथा अवढर दानी भी हैं अर्थात् सहज ही उच्च वरदान देने वाले हैं। इसी भावना को लेकर वे शिव पर जल चढ़ाते और उनकी पूजा … Read more

श्री रामचरितमानस की चमत्कारी चौपाइयां

श्री रामचरितमानस की चमत्कारी चौपाइयां विपत्ति दूर करने के लिए राजिव नयन धरे धनु सायक | भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक || सहायता के लिए मोरे हित हरि सम नहि कोऊ । एहि अवसर सहाय सोई होऊ।। सब काम बनाने के लिए वंदौ बाल रुप सोई रामू | सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू || वश … Read more

रामचरितमानस के पाठ से भोलेनाथ शिव की भी कृपा प्राप्त होती है

रामचरितमानस के पाठ से भोलेनाथ शिव की भी कृपा प्राप्त होती है पहला श्लोक- पहला श्लोक है – “वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु, शंकर रूपिणम | यमाश्रितो हि वक्रोपि, चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते ||”- इस श्लोक में शिव जी को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई गई है.- कोई भी पूजा उपासना करने के पूर्व … Read more