सूर्य ग्रह (ग्रहों के अधिपति)

सूर्य ग्रह सूर्य ग्रह का दिन रविवार है। सूर्य दसवें, सातवें व छठे घर में अशुभ फल देता है परन्तु ग्यारहवें, बाहरवें, नौवें, आठवें और पांचवें घरों में शुभ फल देता है। नवग्रहों में सूर्यदेव को राजपद प्राप्त है। सूर्य को पापीग्रह माना गया है। यद्यपि पृथ्वी पर इसके प्रभाव से ही अनाज, धातु तथा … Read more

तुलसी शालिग्राम – तुलसी महिमा शालिग्राम के महत्त्व का वर्णन

तुलसी शालिग्राम की कथा तुलसी शालिग्राम – नारद जी ने कहा: प्रभो! भगवान नारायण ने कौन-सा रूप धारण करके तुलसी से हास-विलास किया था ? यह प्रसंग मुझे बताने की कृपा करें। भगवान नारायण कहते हैं: नारद! भगवान श्री हरि देवताओं का कार्य-साधन करने के लिए वैष्णवी माया फैलाकर शंखचूड़ से कवच ले लिया। फिर … Read more

निर्जला एकादशी व्रत का फल वर्ष की सम्पूर्ण एकादशियो के बराबर

निर्जला एकादशी निर्जला एकादशी व्रत कथा भगवान् श्री कृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से बोले कि- हे राजन्! श्री सूतजी ने इस एकादशी की कथा अनेक ने ऋषि-मुनियों को कही थी। एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने अपने पूज्य पितामह व्यासजी से भी निर्जला एकादशी की कथा का वृत्तांत जानने की जिज्ञासा प्रकट की थी । तब … Read more

सूर्य देवता को अर्ध्य क्यों दिया जाता है

सूर्य देवता को अर्ध्य सूर्य देवता को अर्ध्य सबको देना चाहिए। बड़ा कौन? बड़ा वह है जो धर्म की मर्यादा को तनिक भी भंग नहीं करता। बहुत से पढ़े-लिखे लोग सुबह सूर्यनारायण के सम्मुख खटिया में पड़े रहते हैं, सूर्योदय होने के उपरान्त भी खटिया छोड़ते नहीं। सूर्यनारायण के सम्मुख खटिया में लेटने के समान … Read more

श्रावण महात्म्य सातवाँ अध्याय – shravan maas satva adhyay

श्रावण महात्म्य सातवाँ अध्याय ईश्वर ने कहा- हे सनत्कुमार! अब उत्तम मंगलवार का व्रत कहूँगा। जिसके करने से वैधव्य का नाश होता है। विवाहोत्तर पांच साल तक इस व्रत को करें। इसका नाम ‘मंगलागौरी व्रत है। यह पाप को नष्ट करने वाला है। विवाह के अनन्तर पहले श्रावण शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार के दिन … Read more

श्रावण महात्म्य छठा अध्याय – shravan maas chata adhyay

श्रावण महात्म्य छठा अध्याय सनत्कुमार ने शंकरजी से कहा- हे ईश्वर! मैंने हर्ष का कारण रविवार महात्म्य को सुना। अब आप श्रावण महीनों के सोमवार व्रत के महात्म्य को कहें। ईश्वर ने सनत्कुमार से कहा- हे सनत्कुमार! रवि मेरी आँख है। उनका श्रेष्ठ महात्म्य है। पार्वती के सहित क्या इस मेरे सोमनाथ का महात्म्य का … Read more

श्रावण महात्म्य पाँचवां अध्याय – shravan maas panchwa adhyay

श्रावण महात्म्य पाँचवां अध्याय ईश्वर ने कहा- सनत्कुमार कोटिलिंग का महात्म्य तथा पुण्य का विधान नहीं कहा जा सकता है। जब एकलिंग महात्म्य की कथा कहना असम्भव है तो कोटिलंगों के महात्म्य को कौन कह सकता है। इस महीने में एक लिंग के बनाने से भी जीव मेरे पास निवास करता है। भक्ति द्वारा मन … Read more

श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय – shravan maas chautha adhyay

श्रावण महात्म्य चौथा अध्याय ईश्वर ने सनत्कुमार जी से कहा- सनत्कुमार धारण पारण व्रत को मैं कहूँगा, उसे आप सुनो। पूर्व प्रतिपदा तिथि को पुण्यवाहक कराकर मेरे प्रसन्नार्थ धारण-पारण व्रत का संकल्प करें। धारण में उपवास तथा पारण में भोजन विहित है। व्रत करने वाला प्राणी मास की समाप्ति में उद्यापन करे। प्रथम श्रावण मास … Read more

सेवा का महत्व – सेवा का सौभाग्य तो विरलों को ही मिलता है।

सेवा का महत्व एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों ईश्वरभक्त थे। दोनों ईश्वर उपासना के बाद रोगियों की सेवा किया करते थे। एक दिन उपासना के समय ही कोई कष्ट पीड़ित रोगी आ गया। गुरुजी ने पूजा कर रहे शिष्यों को बुलवाया। शिष्यों ने कहा-अभी थोड़ी पूजा बाकी है, पूजा समाप्त होते ही आ … Read more