सोलहवाँ अध्याय माघ महात्म्य
सोलहवाँ अध्याय माघ महात्म्य दत्तात्रेय जी बोले- हे राजन्! प्रजापति ने बड़े -२ पाप नष्ट करने के लिये प्रयाग की रचना की है। तीर्थ राज प्रयाग का महात्म्य बड़ा ही पवित्र है । श्वेत और नील जल के संगम पर स्नान करने से प्राणी के महान पाप भी मात्र जल स्पर्श से नष्ट हो जाते … Read more